हमीरपुर/भोरंज:हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 (Himachal Assembly Elections 2022) की बिसात बिछने को है. हालांकि विधानसभा चुनाव में अभी कुछ महीने शेष हैं, लेकिन प्रदेश में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं. भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के दिग्गज नेता जनता के बीच पहुंचने लगे हैं. ऐसे में यह जानना काफी महत्वपूर्ण हो जाता है कि सूबे के किस विधानसभा क्षेत्र में जनता को क्या-क्या परेशानी पेश आ रही है. क्षेत्र में अब तक क्या विकास हुए हैं और लोग अपने वर्तमान विधायक से संतुष्ट हैं या नहीं. विधानसभा चुनाव से पहले ETV भारत प्रदेश के सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों के सूरत-ए-हाल से रू-ब-रू (assembly election 2022 seat scan) कराने जा रहा है.
हिमाचल सीट स्कैन में आज हम बात करने जा रहे हैं भोरंज विधानसभा क्षेत्र की. हमीरपुर जिले में 5 विधानसभा क्षेत्र (भोरंज, सुजानपुर, हमीरपुर, बड़सर और नादौन) हैं. कुल 68 विधानसभा क्षेत्रों में भोरंज 36वीं विधानसभा सीट है. इस साल चुनाव की दृष्टि से भोरंज विधानसभा क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण (Bhoranj assembly seat ground report ) है.
भोरंज विधानसभा सीट पर तीन दशक से बीजेपी का कब्जा: हमीरपुर जिले की भोरंज सीट का इतिहास भी बेहद रोचक रहा है. इस सीट पर पिछले तीन दशकों यानी 32 वर्षों से भाजपा का कब्जा है. इन 32 वर्षों में कांग्रेस को इस सीट पर लगातार सात चुनाव और एक उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. कांग्रेस को यहां पर अंतिम दफा 1985 में धर्म सिंह ने जीत दिलाई थी. 1982 में भाजपा के गठन से पहले कांग्रेस ने 1972 और 1982 में यहां पर जीत हासिल की थी. भारतीय जनसंघ ने 1967 में अमर सिंह को टिकट देकर इस सीट पर जीत का परचम लहरा दिया था और बाद में जनता पार्टी के प्रत्याशी अमर सिंह ने 1977 में इस सीट पर जीत हासिल की थी. कुल मिलाकर 1967 से अबतक 11 चुनावों और एक उपचुनाव में से कांग्रेस यहां पर महज तीन चुनावों में जीत हासिल की है. साल 1990 से लेकर 2012 तक पूर्व शिक्षा मंत्री आईडी धीमान इस सीट पर लगातर छह दफा विधायक चुने गए. भाजपा का दबदबा इस सीट पर तीन दशकों से कायम है.
कमलेश कुमारी हैं वर्तमान में विधायक: वर्तमान में यहां पर भाजपा से कमलेश कुमारी (Bhoranj Assembly MLA Kamlesh Kumari) विधायक हैं. इस सीट पर 80,347 मतदाता वर्तमान में हैं, जिसमें 38,469 पुरुष और 40,300 महिला मतदाता और 1544 पुरुष सर्विस वोटर और 34 महिला सर्विस वोटर भी शामिल हैं. पूर्व मंत्री आईडी धीमान के निधन के बाद अप्रैल 2017 में इस सीट पर उपचुनाव हुए थे. इस उपचुनाव में पेशे से डॉक्टर आईडी धीमान के बेटे डॉ. अनिल धीमान को भाजपा ने चुनावी मैदान में उतारा. धीमान ने कांग्रेस प्रत्याशी प्रोमिला देवी को 8,290 मतों से मात दी थी, लेकिन 2017 के चुनाव को डॉ. धीमान का टिकट काटकर भाजपा ने यहां पर कमलेश कुमारी को मैदान में उतारा था जोकि वर्तमान में विधायक हैं.
डॉ. धीमान हाशिये पर, विधायक कमलेश को मिली मजबूती: वर्तमान विधायक कमलेश कुमारी को सरकार में मजबूती देने के खूब प्रयास (Himachal Seat Scan) हुए हैं. सीएम जयराम ठाकुर ने हमीरपुर जिले में सबसे अधिक दौरे भोरंज विधानसभा क्षेत्र के ही किए हैं. यहां पर विभागीय कार्यलय खोलने में भाजपा ने अपने कार्यालय में कोई कमी नहीं रखी है, लेकिन कांग्रेस नेताओं की मानें तो सीएम महज घोषणाएं करने के चुनावी साल में हमीरपुर आ रहे हैं. भाजपा के प्रदेश संगठन में पद हासिल करने के साथ ही सरकार में विधायक कमलेश कुमारी का रुतबा तो बढ़ा, लेकिन पूर्व मंत्री आईडी धीमान के बेटे पूर्व विधायक डॉ. अनिल धीमान वर्तमान सरकार में हाशिये पर नजर आ रहे हैं. हालात ऐसे हैं कि कुछ दिन पहले सीएम के भोरंज दौरे के लिए उन्हें निमंत्रण तो दूर औपचारिक सूचना तक नहीं दी गई थी.
कांग्रेस और भाजपा अब दोनों में गुटबाजी होगी चुनौती:विधानसभा क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए इस साल विधानसभा चुनावों में गुटबाजी बड़ी चुनौती (Controversy between BJP and Congress party workers in Bhoranj) होगी. एक तरफ कांग्रेस यहां पर तीन दशक से गुटबाजी की वजह से जीत हासिल नहीं कर पाई है तो वहीं भाजपा की राह भी इस बार मुश्किल नजर आ रही है. भाजपा में हाशिये पर चल रहे पूर्व विधायक अनिल धीमान यहां पर आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं. ऐसे में आगामी चुनावों में भाजपा के लिए यहां पर जीत आसान नहीं होगी. कांग्रेस की तरफ से यहां पर तीन प्रत्याशी सक्रिय हैं जो कि पिछले चुनावों में पार्टी टिकट पर चुनाव और उपचुनाव लड़ चुके हैं. इस रेस में कांग्रेस नेता प्रेम कौशल, सुरेश कुमार और कांग्रेस नेत्री प्रोमिला देवी शामिल हैं. दोनों ही दलों को यहां पर बागियों को संतुष्ट कर गुटबाजी से पार पाना होगा, तभी जीत की राह आसान हो पाएगी.
धूमल और अनुराग ठाकुर का भी है विधानसभा क्षेत्र: हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल (Former Himachal Chief Minister Prem Kumar Dhumal) और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर (Union Minister Anurag Thakur) का भोरंज गृह विधानसभा क्षेत्र है. पिता धूमल और पुत्र अनुराग भी इस विधानसभा क्षेत्र से ही ताल्लुक रखते हैं, हालांकि धूमल परिवार ने एक भी दफा इस सीट से चुनाव नहीं लड़ा है. साल 2012 में इस विधानसभा क्षेत्र का नाम मेवा से बदल कर भोरंज कर दिया गया था.
सड़कों बिछा जाल, न बना बस स्टैंड न हवाई अड्डा: भोरंज विधानसभा क्षेत्र में सड़कों का जाल बिछा है, लेकिन गांव देहात की सड़कों की हालत बरसात में खराब हो जाती है. बस स्टैंड का निर्माण का मुद्दा फिर चुनावों में उठ सकता (Bhoranj Assembly Constituency Issues) है. बस स्टैंड का निर्माण यहां पर अधर में ही लटका है. भोरंज अस्पताल में डॉक्टरों की सुविधा व्यापक तौर पर नहीं है. लोकल रूट पर बसों की कमी भी बड़ी समस्या है. जाहू कस्बे में एचआरटीसी सब डिपो की मांग भी लंबित है. धूमल सरकार में इस विधानसभा क्षेत्र के जाहू में हवाई अड्डा बनाने की बात उठी थी, लेकिन सीएम जयराम ठाकुर ने मंडी जिला के बल्ह में हवाई अड्डा (Airport in Balh) बनाने को प्राथमिकता दी और यहां पर यह प्रोजेक्ट सिरे नहीं चढ़ पाया. ऐसे में आगामी चुनावों में खस्ताहाल सड़कें, बस स्टैंड, एचआरटीसी सब डिपो समेत कई मुद्दे चुनावों में तूल पकड़ेंगे.
कांग्रेस का आरोप- अब घोषणाएं करके क्या फायदाः कांग्रेस नेता प्रेम कौशल का कहना है कि सीएम जयराम ठाकुर चुनावी साल (Congress Leader Prem Kaushal on CM Jairam Thakur) में भोरंज के दौरे पर आ रहे हैं. हालात ऐसे हैं कि अब खस्ताहाल सड़कों को दुरुस्त करने के दावे किए जा रहे हैं जबकि इन सड़कों की मरम्मत के लिए मौसम अनुकूल नहीं है. उन्होंने कहा कि समय रहते यह प्रयास नहीं किए गए हैं. चुनावी साल में महज घोषणाएं कर लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है.
वर्तमान विधायक कमलेश कुमारी की दलील- CM जयराम ने हर मांग पूरी कीः विधायक भोरंज कमलेश कुमारी का कहना है कि भोरंज में अथाह विकास (Development work in Bhoranj assembly constituency) करवाया गया है. सीएम जयराम ठाकुर ने हर मांग को पूरा किया है. भोरंज में हर विभाग का कार्यालय खोला गया है. सड़क, बिजली, पानी हर मूलभूत सुविधा को जनता को उपलब्ध करवाने का पूरा प्रयास किया गया है.
मेवा से भोरंज बनने तक धीमान का जलवा, नहीं जीता कोई निर्दलीय: पूर्व शिक्षा मंत्री आईडी धीमान ने इस सीट पर लगातर छह दफा जीत हाासिल कर रिकॉर्ड कायम किया है. साल 1990 में उन्होंने रिकॉर्ड 11,924 वोटों के अंतर से जीत हासिल की जो अभी तक रिकॉर्ड है. हालांकि सबसे कम मतों से जीत हासिल करने का रिकॉर्ड भी आईडी धीमान के नाम ही है. 1990 में 11,924 मतों से जीतने वाले आईडी धीमान तीन वर्ष बाद 1993 में महज 447 मतों से जीत हासिल कर पाये थे. धीमान का यह रिकॉर्ड अभी तक कायम है. इस विधानसभा क्षेत्र में अभी तक कोई निर्दलीय जीत हासिल नहीं कर पाया है. विधानसभा के डिलिमिटेशन के बाद मेवा सीट को भोरंज नाम से जाने जाना लगा.
ये हैं जीत हार के आंकड़े: साल 1967 के चुनाव में जीत का अंतर 3910 वोटों का था. इस चुनाव में भारतीय जनसंघ के. ए. सिंह 6,933 मत लेकर विजेता बने थे. वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी आर. फूल को 3023 मत प्राप्त हुआ था और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.
1972 में जीत का अंतर 3,159: साल 1972 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी धर्म सिंह ने 7,173 मत लेकर जीत हासिल की थी. वहीं, आजाद प्रत्याशी रूप सिंह फूल 4,014 मत लेकर दूसरे स्थान पर रहे थे. इस चुनाव में भारतीय जनसंघ के प्रत्याशी अमर सिंह को 2,274 मत प्राप्त हुआ था.
1977 में जीत का अंतर 1021: साल 1977 में विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी के प्रत्याशी अमर सिंह 8,533 मत लेकर विजयी बने थे. वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी धर्म सिंह को 7512 मत प्राप्त हुआ था. इस चुनाव में धर्म सिंह को हार का सामना करना पड़ा था.