हमीरपुर: महाभारत तो सभी जानते हैं. वैसे तो महाभारत का युद्ध हरियाणा के कुरुक्षेत्र में हुआ था. महाभारत में चक्रव्यूह का उल्लेख बेहद महत्वपूर्ण है. चक्रव्यूह में अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु वीरगति को प्राप्त हुए. अर्जुन के अलावा अभिमन्यु ही एकमात्र ऐसे योद्धा थे जो चक्रव्यूह के अंदर प्रवेश करना जानते थे. अभिमन्यु चक्रव्यूह में प्रवेश तो करना जानते थे, लेकिन बाहर निकलना नहीं जानते थे. इतिहास और महाभारत का ज्ञान रखने लोगों को यह जानकारी है. अर्जुन ने इस चक्रव्यूह का ज्ञान कहा से लिया था, ये बहुत से लोगों को नहीं मालूम है. चक्रव्यूह की रचना के प्रमाण आज भी हिमाचल के हमीरपुर जिले के राजनौण इलाके में मौजूद हैं.
हिमाचल में पांडवों ने गुजारा था अज्ञातवास का समय- कहा जाता है कि संभवत अर्जुन ने चक्रव्यूह को समझने के लिए यहां पर एक शिला व्यूह की थी. यहां पर इसे व्यूह चक्र के नाम से जाना जाता है. हिमाचल प्रदेश में हजारों वर्ष पूर्व पांडव काल के प्रमाण आज भी मौजूद हैं. पांडवों ने अज्ञातवास का अधिकतर समय हिमाचल प्रदेश सहित उत्तरी भारत के राज्य में ही गुजारा था. पांडवों के यहां पर समय व्यतीत करने के प्रमाण हिमाचल के हर जिले में देखने को मिलते हैं. हमीरपुर जिला मुख्यालय से करीब 45 किमी दूर धनेटा इलाके के राजनौण में भी पांडवों ने अपना समय व्यतीत किया है.
विलुप्त होने की कगार पर धरोहर- राजनौण में उन्होंने चक्रव्यूह, के अलावा विशाल टियाले, पानी पीने के लिये नौंण और अधूरे मंदिर का निर्माण किया था, जिसके प्रमाण आज भी मौजूद हैं. जिन्हें देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं, लेकिन सरकार की अनदेखी के कारण यह ऐतिहासिक धरोहर विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी है. स्थानीय लोगों ने पुरातत्व विभाग से इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने की गुहार लगाई है.
हजारों साल पुरानी धरोहर के दीदार के लिए पहुंचते हैं लोग- राजनौण हमीरपुर की सोहलासिंग धार में स्थित है. यह हजारों वर्ष पुरानी धरोहर है, जिसका दीदार करने के लिए सैकड़ों लोग राजनौण पहुंचते हैं. 6 हजार वर्ष पूर्व पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान राजनौण में अर्जुन द्वारा चक्रव्यूह को समझने के लिए चक्रव्यूह को पत्थर की शिला पर उकेरा जोकि आज भी राजनौण में मौजूद है.
पांडवों ने राजनौण में कराए थे कई निर्माण- राजनौण में एक विशाल नौंण का निर्माण पांडवों द्वारा पीने के पानी के लिए किया गया था. जो आज भी इस स्थान पर देखा जा सकता है, मौजूदा समय में इस नौण से जल शक्ति विभाग द्वारा विभिन्न गांवों के लिए पेयजल मुहैया करवाया जाता है. यही नहीं राजनौण में पांडवों ने विशाल टियाले का भी निर्माण करवाया था जो अभी भी मौजूद है. मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर चढ़ाया जाने वाला जल इस चक्रव्यूह से होकर गुजरता है. पांडवों ने इसे इस रूप में क्यों बनाया था, यह किसी को नहीं पता. मंदिर में आज भी पौराणिक बहुत बड़ी-बड़ी पत्थर की शिलाएं देखी जा सकती हैं, लेकिन यह ऐतिहासिक धरोहर अनदेखी के चलते विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी है.