हमीरपुर:पूर्व विधायक कुलदीप पठानिया ने हमीरपुर कांग्रेस जिला अध्यक्ष राजेंद्र जार के बयान पर पलटवार किया है. पूर्व कांग्रेसी विधायक कुलदीप पठानिया ने कहा कि पार्टी के लिए कार्य करना अनुशासनहीनता नहीं है. जिला अध्यक्ष के बयान के बाद पूर्व कांग्रेसी विधायक कुलदीप पठानिया ने पलटवार करते हुए कहा कि इस बैठक से पूर्व जिला अध्यक्ष को खुद उन्होंने बैठक में (Dispute in Hamirpur Congress) आने के लिए आमंत्रित किया था लेकिन व्यस्तता के कारण जिला अध्यक्ष ने बैठक में ना आने की बात कही थी. पूर्व विधायक कुलदीप पठानिया ने हमीरपुर में कांग्रेस सेवा दल की बैठक (Congress Seva Dal meeting in Hamirpur) के दौरान मीडिया कर्मियों से रूबरू होते हुए यह बयान दिया है.
ये है पूरा मामला:जिला मुख्यालय हमीरपुर के एक निजी होटल में कुछ दिनों पहले कांग्रेस कार्यकर्ताओं का सम्मेलन आयोजित हुआ था. इस सम्मेलन में आगामी विधानसभा चुनावों और कांग्रेस के नेताओं के संभावित हमीरपुर दौरों को लेकर चर्चा हुई थी. इस सम्मेलन में विशेष रुप से पिछले विधानसभा चुनावों में हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे पूर्व विधायक कुलदीप पठानिया और हिमाचल कांग्रेस के प्रदेश महासचिव तथा हाल ही में हिमाचल कांग्रेस रिसर्च कमेटी के कन्वीनर नियुक्त किए गए सुनील शर्मा बिट्टू मौजूद रहे थे. यह दोनों नेता हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी टिकट की दौड़ में हैं. ऐसे में कांग्रेस कार्यकर्ताओं (Dispute in Hamirpur Congress) सम्मेलन के बहाने टिकटार्थियों में सियासी घमासान मच गया है.
सम्मेलन को लेकर राजेंद्र जार ने ये कहा था:हमीरपुर कांग्रेस के अध्यक्ष राजेंद्र जार ने कहा कि कांग्रेस पार्टी में हुए बड़े फेरबदल के बाद नेताओं के हमीरपुर आगमन को लेकर जो भी कार्यक्रम आयोजित होंगे वह जिला कांग्रेस कमेटी हमीरपुर का अधिकार क्षेत्र है. इस पर नेताओं को व्यक्तिगत तौर पर राय देने से गुरेज करना चाहिए. उन्होंने कहा कि निजी होटल में एक कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित हुआ है और (RUCKUS OVER THE CONVENTION IN HAMIRPUR CONGRESS) इस सिलसिले में ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुरेश पटेल की तरफ से शिकायत मिली है. उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता सम्मेलन अथवा बैठक संबंधित ब्लॉक कांग्रेस कमेटी या फिर जिला कांग्रेस कमेटी को विश्वास में लेकर किया जाना चाहिए. जहां पर ऐसा नहीं किया जाता है वहां पर एक तो पार्टी का बंटाधार होना निश्चित होता है और दूसरी ओर विपक्षी और मीडिया में भी इसे गुटबाजी की संज्ञा दी जाती है. उन्होंने नेताओं को इस तरह के कार्यों पर भविष्य में रोक लगाने की नसीहत भी दी है.