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भोरंज में आंगनबाड़ी केंद्रों में मनाया वन महोत्सव, बेटियों के नाम लगाए पौधे - आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने मानाया वन महोत्सव

भोरंज उपमण्डल के तहत आने वाले सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में बाल विकास भोरंज के सौजन्य से वन महोत्सव का आयोजन किया गया. इसमें भोरंज सहित सभी आंगनबाड़ी केंद्रों की कार्यकर्ताओं ने बेटियों के नाम से पेड़ लगाए व सामूहिक तौर पर पेड़ों की पूजा की.

Forest Festival celebrated at Anganwadi Center Circles in Bhoranj
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Published : Aug 31, 2020, 12:04 PM IST

भोरंज/हमीरपुर: भोरंज उपमण्डल के तहत आने वाले सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में बाल विकास भोरंज के सौजन्य से वन महोत्सव का आयोजन किया गया. इसमें भोरंज सहित सभी आंगनबाड़ी केंद्रों की कार्यकर्ताओं ने बेटियों के नाम से पेड़ लगाए व सामूहिक तौर पर पेड़ों की पूजा की.

आंगनबाड़ी केंद्र दियालड़ी की कार्यकर्ता सुनीता रानी ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य लोगों को पेड़ पौधों लगाने और उन्हें बचाने के लिए जागरूक करना है, ताकि भविष्य में जलवायु साफ रहे और आने वाली पीढ़ी पेड़ संरक्षण के मूल्यों को समझे. इस दौरान लोगों को पेड़ पौधे लगाने और उनका संरक्षण व संवर्धन करने के लिए प्रेरित किया, ताकि आने वाली पीढ़ी स्वस्थ वातावरण में सांस ले सके. उन्होंने कहा कि शहरीकरण, ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क बनाने के लिए, निजी कार्यों के लिए पेड़ काटे जा रहे हैं. जिससे पेड़ों की संख्या में हर दिन कमी आ रही है.

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वहीं, टिक्करी मिन्हासा प्रधान रेखा देवी ने बताया कि बाल विकास भोरंज के सौजन्य से वन महोत्सव का आयोजन किया गया था, जोकि बहुत ही सराहनीय कार्य है, इससे लोगों का पेड़ लगाने व पर्यावरण को बचाने में सहयोग मिलेगा.

विदेशी पौधे बढ़ा रहे मात्र शोभा-

जिला के कई कार्यालयों में विदेशी पौधे भी लगाए गए हैं, लेकिन ये बस कार्यालयों की शोभा ही बढ़ा रहे हैं. विदेशी किस्म के पौधे उतनी मात्रा में ऑक्सीजन देने का काम नहीं करते हैं, जितने की देववृक्षों के पौधों से ऑक्सीजन मिलती है.

एक रिसर्च के मुताबिक देववृक्ष 24 घंटे में 14-18 घंटे ऑक्सीजन देने का काम करते हैं, लेकिन फिर भी लोग विदेशी पौधे लगा रहे हैं. खास बात यह है कि विदेशी किस्म के पौधे को पशु नहीं खाते हैं और उसको हर दिन पानी देने की आवश्यकता है.

बता दें कि हिन्दू समाज में आज भी कई पेड़ पौधों को पूजा जाता है. जहां एक ओर लोग उसे धर्म की दृष्टि कोण से देखते हैं तो दूसरी ओर साइंटिफिक रीजन भी हैं. हिन्दू धर्म में पीपल, आम, तुलसी, आंवला आदि पौधों की पूजा की जाती है.

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