सवाल: हिमाचल में भाजपा को मजबूत करने में आपका अहम योगदान है. दो बार मुख्यमंत्री रहते हुए विकास के कई काम आपके कार्यकाल में हुए. आपको सड़कों वाले मुख्यमंत्री के रूप में जाना जाता है. आपने पूरे हिमाचल में सड़कों के नेटवर्क को पहुंचाया है. अब वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली सरकार के अब तक के कामकाज को आप कैसे देखते हैं?
जवाब: वर्तमान सरकार के कार्यकाल में कोरोना महामारी का बड़ा संकट रहा. लगभग 2 साल इस कार्यकाल के विकास से ज्यादा कोरोना को रोकने में लोगों को बचाने में लग गए. सरकार को जितना समय मिला सरकार ने अच्छा काम किया है. कोरोना के कारण बहुत सारा समय इसमें लग गया. जिससे विकास की गति धीमी पड़ गई.
सवाल: छोटा पहाड़ी राज्य होने के नाते हिमाचल प्रदेश के पास सीमित आर्थिक संसाधन हैं. केंद्रीय सहायता पर निर्भर हिमाचल पर कर्ज का भी भारी बोझ है. हिमाचल के विकास के लिए विशेष औद्योगिक पैकेज दिलाने में आपकी अहम भूमिका रही है. क्या आप हिमाचल को कर्ज से उबारने के लिए केंद्र से टोटल बेल आउट पैकेज दिए जाने की जरूरत पर जोर देते हैं ? या फिर हिमाचल को आर्थिक समृद्धि के रास्ते पर ले जाने के लिए आपकी नजर में और भी कोई उपाय हैं?
जवाब: 'मैं मानता हूं कि हिमाचल जैसा छोटा राज्य केवल अपने संसाधनों के आधार पर न विकास कर सकता है और न आगे बढ़ सकता है. केंद्र का सहयोग और समर्थन हमेशा चाहिए और मैं कहना चाहूंगा कि एक समय ऐसा आया था कि जब कांग्रेस सरकार ने हमारा विशेष राज्य का दर्जा वापस ले लिया था. जिसके कारण संसाधनों पर काफी दुष्प्रभाव पड़ा था.
मैं धन्यवाद देना चाहूंगा पीएम मोदी का जिन्होंने सत्ता में आने के बाद शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में कमेटी का गठन किया और उस कमेटी की सिफारिश आते ही, हिमाचल प्रदेश को विशेष श्रेणी का दर्जा वापस लौटाया था, जबकि उस समय प्रदेश में कांग्रेस सरकार थी, लेकिन पीएम मोदी ने भेदभाव नहीं किया और हिमाचल प्रदेश को विशेष श्रेणी का दर्जा वापस लौटाया था. जिसमें अगर केंद्र से हमें 100 रुपये मिलते हैं तो उसमें से 90 रुपये उसमें अनुदान होते हैं और 10 रुपये एक ऋण के तौर पर होते हैं. कोरोना के दौरान भी केंद्र से 400 करोड़ रुपये 50 साल के लिए ब्याजमुक्त प्रदेश को सहायता दी गई. वहीं, कोरोना से लड़ने के लिए केंद्र ने बहुत संसाधन दिए.
बाकि रही बात हमारे शासनकाल की तो पीएम मोदी आज स्वच्छता अभियान चला रहे हैं जिसमें हमने 1999 में पॉलीथिन और प्लास्टिक को बैन कर दिया था. वहीं, हजारों करोड़ की मदद हमें केंद्र के माध्यम से वर्ल्ड बैंक द्वारा दी गई थी.
हिमाचल में पर्यटन को बढ़ावा देना होगा. इसमें धार्मिक पर्यटन हो या साहसिक पर्यटन. हमें अरबी कल्चर को विकसित करना होगा. हिमाचल में पंजाब जैसा गर्म क्षेत्र भी है और सबसे ठंडा स्थान भी हिमाचल में है. इसका अर्थ है कि हर प्रकार की जड़ी बूटियां यहां पैदा हो सकती हैं.
सवाल: हिमाचल देवभूमि के साथ-साथ वीरभूमि भी है. भारतीय सेना में 'हिमालयन रेजीमेंट' आपका मूल विचार रहा है. इस संदर्भ में हिमाचल विधानसभा से प्रस्ताव पारित कर भी केन्द्र सरकार को भेजे गए हैं. वर्तमान पीएम नरेंद्र मोदी जी से भी आपके नजदीकी रिश्ते हैं. क्या निकट भविष्य में आप हिमालयन रेजीमेंट का सपना साकार होते देख रहे हैं ?
जवाब: हमने तो कहा था कि हिमाचल रेजीमेंट बने. जैसा पंजाब रेजीमेंट, जाट रेजीमेंट, बिहार रेजीमेंट, कुमाऊं रेजीमेंट, गढ़वाल रेजीमेंट, मद्रास रेजीमेंट राज्यों के नाम से होती थीं, लेकिन फिर केंद्र ने निर्णय लिया कि राज्यों के आधार पर रेजीमेंट नहीं बनेंगी. डोगरा रेजीमेंट है जिसमें हमारे अधिकतर जवान जाते हैं. आपने सही कहा हिमाचल वीरभूमि है. कारगिल युद्ध में चार परमवीर चक्र मिले थे. जिसमें हिमाचल के दो जवान कैप्टन विक्रम बत्रा और संजय कुमार भी शामिल थे. इसी को लेकर हम कई बार आग्रह करते रहे, जिसके बाद हमने कहा कि अगर हिमाचल रेजीमेंट नहीं तो हिमालयन रेजीमेंट बने.
अब अगर कभी पाकिस्तान या चीन के साथ हमारा युद्ध होता है तो दोनों देश पहाड़ पर ही लड़ेंगे. और ऐसे में जो पहाड़ी क्षेत्र के जवान हैं वो इन हालातों में ज्यादा सही तरीके से मुकाबला कर पाएंगे. इसलिए मैंने कहा था कि हिमाचल के बजाए हिमालयन रेजीमेंट इसको कर दिया जाए जिसमें जम्मू कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड, सिक्किम और जितने भी पहाड़ी राज्य हैं वहां से लोग इस रेजीमेंट में भर्ती हों.
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सवाल: ये दुखद है कि कांग्रेस के कद्दावर नेता वीरभद्र सिंह अब हमारे बीच नहीं हैं, प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस की इस रिक्तता को आप कैसे देखते हैं और चिर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी से आपके रिश्तों को आप कैसे बयां करेंगे ?
जवाब: वीरभद्र सिंह हमारे प्रदेश के कद्दावर नेता थे. उनसे मेरी कोई तुलना नहीं है. वो राज परिवार से थे और मैं फौजी और किसान परिवार से हूं, लेकिन विचारधारा के मतभेद हमारे बीच हमेशा रहे, फिर भी हमारे बीच कोई व्यक्तिगत मतभेद नहीं रहे. विधानसभा के बाहर हम हमेशा दिल खोलकर मिलते थे.
मुझे याद है कि जब मैं पहली बार मुख्यमंत्री बना उससे पहले मैं संसद में होता था. चुनाव जीतने के बाद जब मैं जाखू मंदिर में माथा टेककर वापस आ रहा था तो रास्ते में वीरभद्र सिंह खड़े थे. मैं उनके घर गया और उनके साथ चाय पी. फिर उसके बाद मुझसे मिलने जब सीएम हाउस आए तो मैंने कहा बैठिए जी. तो उन्होंने कहा कि पहले आप बैठिए मुख्यमंत्री जी. तो मैंने कहा कि आप बैठिए आप मुझसे काफी सीनियर हैं. तो उन्होंने कहा कि नहीं-नहीं मुख्यमंत्री का अपना रूतबा होता है.