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Workers Strike in Hamirpur: 25 और 30 सालों से दिहाड़ीदार के रूप में सेवाएं देने वाले कर्मी रिटायरमेंट की दहलीज पर, हड़ताल को हुए मजबूर - परियोजना हमीरपुर कार्यालय

हमीरपुर में भी दिहाड़ीदार और अनुबंध कर्मचारियों (Workers Strike in Hamirpur) ने यह हड़ताल शुरू कर दी है. कर्मचारियों ने वन विभाग की परियोजना हमीरपुर कार्यालय के बाहर ही हड़ताल शुरू की है. कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारियों का तर्क है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से लेकर विभाग के मंत्री और अधिकारियों के समक्ष मांगे रखी गई है.

Workers Strike in Hamirpur
हमीरपुर में दिहाड़ीदार और अनुबंध कर्मचारियों ने हड़ताल की शुरू

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Published : Jun 1, 2022, 6:15 PM IST

हमीरपुर:हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक संसाधन समिति सोलन के कर्मचारी वेतन वृद्धि और और अन्य मांगों को लेकर प्रदेश भर में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. हमीरपुर में भी दिहाड़ीदार और अनुबंध कर्मचारियों ने यह हड़ताल शुरू कर दी है. कर्मचारियों ने वन विभाग की परियोजना हमीरपुर कार्यालय के बाहर ही हड़ताल शुरू की है. कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारियों का तर्क है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से लेकर विभाग के मंत्री और अधिकारियों के समक्ष मांगे रखी गई है.

कई दफा पत्राचार के माध्यम से भी अधिकारियों से (workers strike in hamirpur) इन मांगों को पूरा करने के लिए प्रयास किए गए हैं, लेकिन कोई जवाब नहीं मिल पाया है. हालात ऐसे हैं कि 25 और 30 वर्षों से दिहाड़ीदार के रूप में सेवाएं देने वाले कर्मी रिटायरमेंट की दहलीज पर पहुंच चुके हैं लेकिन अभी तक उनकी पदोन्नति नहीं हुई है. समस्त अनुबंध एवं वेतन भोगी कर्मचारी हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक संसाधन समिति यूनियन के प्रदेश कार्यकारिणी के उपाध्यक्ष नरेंद्र कुमार वर्मा ने बताया कि अपनी जवानी का समय नौकरी भी खफा देने वाले दिहाड़ीदार अभी तक पदोन्नति नहीं हो पाए हैं और अब रिटायरमेंट की दहलीज पर खड़े हैं.

उन्होंने कहा कि इन कर्मचारियों को पेंशन तो दूर निर्वाह भत्ता तक सही ढंग से नौकरी के दौरान भी नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने कहा कि यदि जल्द ही उनकी मांगें पूरी नहीं होती है तो अनिश्चितकालीन हड़ताल को आमरण अनशन में तब्दील दिया जाएगा. हर हालत में उन मांगों को पूरा करने के लिए कर्मचारी डटे रहेंगे. यूनियन के पदाधिकारी दिनेश कुमार ने कहा कि यदि उनकी मांगे पूरी नहीं होती हैं तो वह चुनावी साल में मतदान का भी बहिष्कार करेंगे और यदि मतदान करेंगे भी तो नोटा को चुनेंगे. चुनावों में किसी भी राजनीतिक दल को वह समर्थन नहीं देंगे यदि उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता है.

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