हमीरपुर:भोरंज विधानसभा क्षेत्र में पहुंचे सीएम जयराम ठाकुर (CM Jairam in Bhoranj Assembly Constituency) ने संजीदा शासन की परिकल्पना को जीवंत किया है, लेकिन सीएम को मंच से उतरने और पैरालिसिस के मरीज को राजनीतिक जनसभा में पहुंचने पर क्यों मजबूर होना पड़ा इस पर भी चिंतन जरूरी है. 15 साल से बीमार पति की बेड पर देखभाल कर रही लीला देवी की कहीं जब सुनवाई नहीं तो वह पति प्रीतम चंद को अस्पताल ले जाने की बजाय जनसभा में ले आई. यहां पर इस परिवार की किस्मत अच्छी रही और सीएम ने मंच से उतर खुद उनकी समस्या सुन ली. सीएम ने फर्ज पूरा कर दिया लेकिन समाज, सरकारी व्यवस्था और स्थानीय प्रतिनिधियों कारगुजारी पर मंथन भी यहां पर जरूरी है. जिस जनसभा में भीड़ जुटाने के लिए तमाम ताम झाम किए थे और हर क्षेत्र से लोगों को सभा स्थल तक लाने के बसे भेजी गई थी वहां पर लाचार परिवार को किसी पड़ोसी से मदद लेकर जनसभा तक पहुंचना पड़ा.
सीएम जयराम ठाकुर ने सराहनीय निर्णय लेते हुए (Poor family praised CM Jairam) परिवार को तुरंत एक लाख की आर्थिक मदद और बेटी के नौकरी का इंतजाम करने का भी ऐलान कर दिया. सीएम ने तो दरियादिली दिखाई, लेकिन यह चिंतनीय है कि यह भोरंज विधायक कमलेश कुमारी के पैतृक गांव नाहलवीं का यह परिवार था, लेकिन वह परिवार की कभी मदद नहीं कर पाई. यह पंचायत हमीरपुर विधासभा क्षेत्र के तहत आती है. ऐसे में न तो कभी इनकी सुनवाई भोरंज हुई न ही हमीरपुर में. हमीरपुर विधानसभा के विधायक नरेंद्र ठाकुर भी भाजपा से ही ताल्लुक रखते हैं. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि जब सत्तासीन विधायकों ने नहीं सुनी तो सीएम को खुद मंच से उतर कर गरीब के दुखड़े को सुनना पड़ा. सीएम ने तो आश्वासन दिया कि प्रीतम चंद की बेटी स्नेहा की नौकरी का प्रबंध भी किया जाएगा और उसकी आगामी पढ़ाई के लिए भी सरकार उसका खर्च उठाएगी.