कांगड़ा:राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (National Tuberculosis Eradication Program Himachal) के तहत कांगड़ा में शुक्रवार को एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई. बैठक की अध्यक्षता मुख्य चिकित्सा अधिकारी कांगड़ा डॉ. गुरदर्शन गुप्ता ने की. इस दौरान उन्होंने बताया कि विश्व स्तर पर टीबी मृत्यू के शीर्ष 10 कारणों में से एक है. पिछले वर्षों में बेशक टीबी में कमी आई है, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन की रणनीति द्वारा निर्धारित लक्ष्यों से बहुत दूर है. जिसका उद्देश्य टीबी से होने वाली मौतों को 2035 तक 90 प्रतिशत कम करना है.
उन्होंने बताया कि विश्व स्तर पर एक चौथाई लोग लेटेंट टीबी (TB in Himachal) के साथ जी रहे हैं. ऐसी स्थिति में व्यक्ति में टीबी का बैक्टीरिया तो होता है, पर वह रोग उत्पन्न नहीं करता है. डॉ. गुरदर्शन गुप्ता के बताया कि अगर आपके शरीर में लेटेंट टीबी के जीवाणु हों, तो दस में से एक की संभावना है कि भविष्य में किसी समय वे रोगाणु सक्रिय हो जाएंगे और आपको बीमार करेंगे.
हालांकि साधारण तौर पर क्षयरोग को इलाज के द्वारा ठीक किया जा सकता है. फिर भी बीमार न पड़ना ही सबसे बेहतर है. उन्होंने कहा कि सौभाग्यवश, लेटेंट टीबी का भी इलाज किया जा सकता है. वहीं, जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. विक्रम कटोच ने बताया कि जिला कांगड़ा और शिमला में टीबी उन्मूलन के बेहतरीन कार्य को देखते हुए अक्षय प्लस परियोजना में इन दो जिलों को लेटेंट टीबी (latent TB in Kangra) के टेस्ट एंड ट्रीट टीबी प्रीवेंटिव थेरेपी मॉडल (TB Preventive Therapy) के अन्तर्गत लिया गया है.