धर्मशाला: हिमाचल के वरिष्ठ पत्रकार हेमंत कुमार ने तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा और भारत के रिश्ते, उनके उत्तराधिकारी समेत कई मुद्दों पर ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि दलाई लामा और हिंदुस्तान का संबंध हमेशा से ही बहुत अच्छा रहा है. पिछले छह दशक से दलाई लामा धर्मशाला में रह रहे हैं. हिंदुस्तान ने भी पूरे तिब्बती समुदाय को सिर आंखों पर बिठाया है. दलाई लामा को हमेशा ही हिंदुस्तान में वीआईपी ट्रीटमेंट मिला है. पूरा मैक्लोडगंज दलाई लामा के लिए ही समर्पित है.
एक सरकार के भीतर रह रही दूसरी सरकार
तिब्बत को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि तिब्बत नाम का कोई भी देश नहीं है, लेकिन तिब्बतियों की अपनी सरकार और अपना राष्ट्रपति है. यह एक दिलचस्प बात है कि एक सरकार के भीतर ही दूसरी सरकार रह रही है. पिछले 15 साल से तिब्बतियों का संघर्ष कहीं ना कहीं कम जरूर हो गया है.
आने वाले समय में हो सकते हैं दो दलाई लामा
हेमंत कुमार ने दलाई लामा के उत्तराधिकारी के बारे में कहा कि तिब्बतियों में तुलकू नीति के तहत जो विद्वान लामा होते हैं, उन्हें उनको अपने पुन: अवतार की छूट रहती है. दलाई लामा भी तुलकू है और उनका भी पुनः अवतार होगा. लेकिन अब स्थिति गंभीर हो चुकी है क्योंकि चीन द्वारा यह बयान जारी किए जा रहे हैं कि दलाई लामा अब वही बनेगा जिसे चीन चाहेगा. ऐसा भी माना जा रहा है कि आने वाले समय में तिब्बतियों के दो दलाई लामा हो सकते हैं. वहीं, पंचेन लामा के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि पंचेन की मृत्यु के बाद नया पंचेन लामा घोषित किया लेकिन उस पंचेन लामा को इतनी तेजी से गायब किया गया कि आज तक उस लामा का कोई भी पता नहीं चल पाया है.