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शहीद को 3 साल बाद भी नहीं मिला सम्मान, परिवार की गुहार सुनो सरकार - 4 ANNIVERSARY OF PATHANKOT AIRBASE ATTACK

साल 2016 में पठान कोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले की आज चौथी बरसी है. इस आतंकी हमले में कांगड़ा जिला के शाहपुर उपमंडल की सियूंह पंचायत के डोगरा रेजीमेंट के जवान संजीवन राणा भी शहीद हुए थे. शहीद संजीवन राणा के परिवार का आरोप है कि तीन साल बाद भी उन्हें तत्कालीन और मौजूदा सरकार ने कोई सम्मान नहीं दिया, जिसके वे हकदार थे.

Shaheed Sanjeevan Rana did not get the honor even after 3 years
शहीद संजीवन राणा का परिवार.

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Published : Jan 2, 2020, 6:47 PM IST

धर्मशाला: जनवरी 2016 में पठान कोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले में शहीद संजीवन राणा का परिवार घर के मुखिया के चले जाने से उतना नहीं टूटा, जितना सरकारी तंत्र की वादाखिलाफी से टूटा है. संजीवन जब शहीद हुए तो तत्कालीन सरकार के नेता और बड़े अफसर घर आए थे.

संजीवन राणा की शहादत के बाद कई बड़े राजनेता अंतिम संस्कार में शामिल होने उनके गांव सियूंह पहुंचे थे. उस वक्त राजनेताओं ने उनके नाम पर कई घोषणाएं की थी लेकिन तीन साल बीतने के बाद अब तक इस ओर कोई कदम नहीं उठाया है. शहीद के नाम पर न तो छत्तड़ी कालेज का नामकरण किया गया है और न ही शहीद की याद में पार्क और प्रतिमा लगाने का काम शुरू हुआ.

शहीद की अंतिम यात्रा में शामिल होने पहुंचे तत्कालीन परिवहन मंत्री जीएस बाली ने श्मशान घाट की बदहाली और रास्ते की दुर्दशा को देखते हुए उसी समय श्मशान घाट निर्माण के लिए 3 लाख रुपये देने की घोषणा की थी. आरोप है कि श्मशान घाट के लिए आया पैसा साथ लगती पंचायत को चला गया.

वहीं शहीद संजीवन राणा की छोटी बेटी कोमल ने कहना है कि उनके पिता की शहादत के समय राजनेताओं ने परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने, छत्तड़ी कालेज का नामकरण शहीद के नाम पर करने, पार्क बनवाने और श्मशानघाट बनवाने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है. कोमल का कहना है कि राजनेता घोषणाएं तो कर देते हैं लेकिन उन्हें अमलीजामा नहीं पहनाया जाता है.

वीडियो रिपोर्ट.

शहीद के परिवार के सदस्यों का ये भी आरोप है कि प्रशासन ने श्मशानघाट भी सही ढंग से नहीं बनवाया है. ऐसे में कैसे कहा जा सकता है कि शहीद के नाम पर हुई घोषणा पूरी हो गई है. शहीद के नाम पर बनाए गए बस स्टॉप पर लगाए गए बोर्ड से भी शहीद का नाम तक मिट चुका है.

पूर्व सांसद शांता कुमार ने भी शहीद के नाम पर ट्यूबवेल और हैंडपंप लगाने के लिए राशि स्वीकृत की थी, लेकिन जमीन उपलब्ध नहीं होने के चलते उस पर भी काम शुरू नहीं हो पाया. सियूंह पंचायत प्रधान बिंदु राणा ने कहा कि शहीद के नाम पर की गई घोषणाओं के पूरा न होने के लिए दोनों ही सरकारें जिम्मेदार हैं.

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यही नहीं प्रशासनिक अधिकारियों की भी इसमें लापरवाही रही है. पंचायत की ओर से भी समय-समय पर प्रशासन को शहीद के नाम पर हुई घोषणाओं को पूरा करने का आग्रह किया जाता है, लेकिन अभी तक उस दिशा में कार्य नहीं हो पाया है.

शहरी विकास, आवास एवं नगर नियोजन मंत्री और शाहपुर विधायक सरवीण चौधरी ने कहा कि यह मामला कांग्रेस सरकार के दौरान का है, शहीद परिवार की कई मांगे सरकार ने पूरी कर दी है. अगर उनकी और भी कोई मांग होगी तो उसे बीजेपी सरकार पूरी करने की कोशिश करेगी.

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