धर्मशाला:गरीबी इंसान को कहां से कहां पहुंचा देती है और जब एक गरीब पर मुसीबत आती है, तो उसके साथ खड़ा होने वाला कोई नहीं होता. इसी का जीता जागता उदाहरण है, धर्मशाला के राजपुर के साथ लगती टांडा पंचायत के (Sarabjit of Dharamshala) सर्बजीत. सर्बजीत के सामने इन दिनों एक बड़ी चुनौती यह है कि आखिर उनकी मां का इलाज कैसे होगा. सर्बजीत की मां इन दिनों काफी बीमारी हैं. दिहाड़ी लगाकर अपना घर चला रहे (Daily wage worker) सर्बजीत ने अपनी मां के इलाल के लिए अब अपने हाथ खड़े कर दिए हैं, क्योंकि सर्बजीत की मां के इलाज पर करीब ढे़ड लाख (Cost of treatment is 1.5 lakh) का खर्च आ रहा है.
वहीं सर्बजीत को यह चींता सता रही है की आखिर उसके पास इतने पैसे कहां से आएंगे? क्योंकि सर्बजीत के पास जितने पैसे थे, वह पहले ही उसकी मां के इलाज पर खर्च हो चुके हैं. सर्बजीत की मां पदमा देवी दिल की बीमारी (Heart disease) से ग्रसित हैं. कुछ दिनों पहले ही सर्बजीत की मां को दिल का दौरा पड़ा था, जिसके बाद सर्वजीत अपनी मां को टांडा अस्पताल (Tanda Hospital Kangra) में ले गया था.
अस्पताल में इलाज के वक्त सर्बजीत की जेब में सिर्फ 1900 रुपय थे. जिसमें से 1500 रुपए टेस्ट करवाने में ही खर्च हो गए. ऐसे में सर्बजीत मां का इलाज करवाता या बचे हुए उन 400 रुपयों से अपनी मां को घर वापिस लाता. सर्बजीत ने हिम्मत हारते हुए टांडा मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों से यह आग्रह किया की वह अपनी मां का इलाज पीजीआई (PGI Hospital Chandigarh) में करवाना चाहता है. यह कहकर वह अपनी मां को पीजीआई ले जाने के बजाय अपने घर ले आया और अब घर पर ही अपनी मां की देखरेख कर रहा है.
वहीं, एक समाजसेवी संस्था (charitable organization) ने उसे ऑक्सीजन का सिलेंडर (oxygen cylinder) भी दान किया है, जिसके सहारे सर्बजीत की मां आज सांस ले रही हैं. लेकिन हैरानी की बात तो यह है की न तो यह परिवार बीपीएल (BPL Family) में आता है और न ही इस परिवार को सरकार से कोई सुविधा मिल रही है. ऐसे में सर्बजीत के सामने अपनी मां का इलाज एक बहुत बड़ी चुनौती बन गया है.