धर्मशाला/शिमला: कोरोना की क्रूरता ने सब कुछ बदल कर रख दिया है. जिंदगी के मायने भी, जिंदगी के बाद का संस्कार भी. कोरोना की मार ने अपनों से दूरी ऐसी बढ़ा दी है कि अंतिम विदाई तक का हक भी उनसे छीन लिया है. इतना ही नहीं परिवार के लोग ही अपनों के अंतिम संस्कार से इंकार करते हुए नजर आ रहे हैं.
कोरोना की वैक्सीन आने के बाद भी दुनियाभर के डॉक्टर, पुलिसकर्मी, सफाईकर्मी इससे निपटने के लिए दिन रात लगे हुए हैं. कोरोना काल की तमाम परेशानियों के बीच स्वास्थ्य विभाग को भी नई-नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इनमें सबसे बड़ी चुनौती कोरोना संक्रमण से मरने वाले मरीजों के शवों का रख-रखाव और उनका अंतिम संस्कार करने की है. हिमाचल में कोराना संक्रमण से अबतक ढाई हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई है,
मौत के आंकड़ों में नहीं हो रही कोई कमी
विपरीत भौगोलिक परिस्थितियों के लिहाज से स्वास्थ्य विभाग पुलिस और प्रशासन के साथ मिलकर लगातार काम कर रहा है. प्रदेश में कोरोना कर्फ्यू की वजह से फिलहाल संक्रमितों की संख्या में कमी नजर आ रही है. लेकिन मरने वालों की संख्या वैसे ही बनी हुई है. प्रदेश में रोजाना कोविड-19 की वजह से 40 से ज्यादा लोगों की मौत हो रही है. प्रदेश में मरने वालों का आंकड़ा तीन हजार के करीब पहुंच गया है.
अंतिम संस्कार से ग्रामीणों ने किया इंकार
ऊना के अम्ब उपमंडल की ग्राम पंचायत के सूही गांव में कोविड संक्रमित महिला के अंतिम संस्कार में सहयोग से ग्रामीणों ने इंकार कर दिया था. एसडीएम मनेश यादव ने चिंतपूर्णी विकास समिति की मदद से महिला का अंतिम संस्कार कराया था. वहीं, दूसरा मामला कांगड़ा जिले के घुरकड़ी पंचायत का है. यहां कोरोना संक्रमण फैलने के डर से मृतक के परिजनों ने पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया था.
अंतिम संस्कार के लिए लोग आ रहे आगे
संक्रमित शवों को छूने से परिजन और रिश्तेदार डर रहे हैं. ऐसे में संक्रमित शवों के अंतिम संस्कार के लिए प्रसाशन और समाजसेवी संस्थाओं से जुड़े लोग आगे आ रहे हैं. कुल्लू जिले में नगर परिषद के कर्मचारी 100 से अधिक कोरोना संक्रमित शवों का दाह संस्कार कर चुके हैं. इसके लिए कुल्लू नगर परिषद के कर्मचारियों की एक टीम गठित की गई है जो सरवरी स्थित श्मशान घाट में संक्रमितों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं.