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सरकार के स्कूल खोलने के फैसले पर बोले धर्मशालावासी, अभी करना चाहिए था इंतजार - सरकार का प्रदेश में स्कूल खोलने का फैसला

हिमाचल में 21 सितंबर से स्कूल खोलने के सरकार के फैसले पर धर्मशाला के लोगों की अलग है. उनका कहना है कि कोरोना काल में स्कूल खोलने पर सरकार को विचार करना चाहिए था. प्रदेश में थोड़े इंतजार के बाद स्कूल खोले जाते तो बेहतर होता.

People of Dharamshala opinion on Himachal government's decision to open schools
धर्मशाला के लोगों की राय.

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Published : Sep 19, 2020, 6:17 PM IST

धर्मशाला: प्रदेश सरकार दोबारा 21 सितंबर को स्कूल खोलने के फैसले को लेकर धर्मशाला के अविभावकों की राय सरकार से विपरीत नजर आई. अविभावकों का कहना है कि इस वक्त कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, सरकार को अभी स्कूलों को खोलने के लिए और इंतजार करना चाहिए था. सरकार का दोबारा स्कूल खोलने का फैसला भी स्पष्ट नहीं है, सरकार को इसे स्पष्ट करना चाहिए.

धर्मशाला निवासी प्रणव कहते है कि सरकार दोबारा स्कूल खोलने के फैसले से बिल्कुल भी सहमत नहीं हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस इस वक्त तेजी से बढ़ रहा है. सरकार को थोड़ा और इंतजार करना चाहिए था. अविभावकों की अनुमति की जगह सरकार अपने स्तर पर फैसला लेना चाहिए.

वीडियो रिपोर्ट.

शहर के कचहरी इलाके के जगदीप सिंह कहते है कि स्कूल खोलने का फैसला सीधा-सीधा हमारे ऊपर थोपने जैसा है. उन्होंने कहा कि बेटी 11वीं में पढ़ती है जिससे ऑनलाइन पढ़ाई भी संभव नही है. स्कूल प्रशासन की ओर से कहा गया है कि बच्चों को खुद लाएं और स्कूल से ले जाएं.

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वहीं बिक्रम चौधरी कहते है कि सरकार को लॉकडाउन की जगह इसकी तैयारियां करवानी चाहिए थी कि इस वायरस के साथ कैसे जीना है. सरकार को कोरोना महामारी के शुरू होते ही लोगों को जागरूक करना चाहिए था. सरकार ने तो स्कूल खोलने का फैसला ले लिया है अब अभिभावकों की बारी है कि अपने बच्चों को स्कूल भेजेंगे या नहीं.

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धर्मशाला के राकेश भारद्वाज का कहना है कि स्कूल खोलने के फैसले से पहले सरकार को सोचना चाहिए था. अब अभिभावकों को अपने बच्चों के बारे में सोचना है.

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आपको बता दें कि शुक्रवार को मंत्रिमंडल में लिए गए फैसले के तहत 21 सितंबर से मात्र उन्हीं स्कूलों को खोला जाएगा जो कंटेनमेंट जोन से बाहर है. कंटेनमेंट जोन में जो स्कूल है वह बंद रहेंगे. इसके साथ यह भी सपष्ट कर दें कि स्कूल खोले नहीं जा रहे हैं. यानी कक्षाएं स्कूलों में छात्रों की नहीं लगेगी मात्र परामर्श के लिए ही छात्र स्कूल आ सकेंगे, लेकिन 50 फीसदी शिक्षक जरूर स्कूल आएंगे.

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