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राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 हिंदी एवं भारतीय भाषाओं के विकास के लिए वरदान: राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर - kangra news hindi

राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने शुक्रवार को कांगड़ा जिले के धर्मशाला में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय (Himachal Pradesh Central University) के हिंदी विभाग और भारतीय शिक्षण मंडल के संपर्क विभाग के संयुक्त तत्वावधान में 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: हिंदी एवं भारतीय भाषाओं के विकास के लिए वरदान' विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर प्रकाश डाला.

Governor Rajendra Vishwanath Arlekar in HPCU
राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर

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Published : Sep 23, 2022, 7:09 PM IST

कांगड़ा:राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि देश के विकास में मातृभाषा का महत्व अधिक होता है. भारत को यदि विश्व गुरु बनाना है तो वह कार्य अपनी मातृभाषा में किया जा सकता है. राज्यपाल शुक्रवार को कांगड़ा जिले के धर्मशाला में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय (Himachal Pradesh Central University) के हिंदी विभाग और भारतीय शिक्षण मंडल के संपर्क विभाग के संयुक्त तत्वावधान में 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: हिंदी एवं भारतीय भाषाओं के विकास के लिए वरदान' विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के अवसर पर बोल रहे थे.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के (Rajendra Vishwanath Arlekar on New Education Policy) माध्यम से पहली बार उपनिवेशवादी सोच को समाप्त करने का प्रयास किया गया है. नई शिक्षा नीति की सोच रोजगार प्रदाता के रूप में बनने की है ना कि रोजगार मांगने की. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने हमें 'स्व' का अक्षर दिया है जिसका अर्थ है जो भी है वह मेरा है. स्वदेश व स्वसंस्कृति एवं स्व इतिहास उसे जागृत करने में राष्ट्रीय शिक्षा नीति सक्षम है.

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उन्होंने कहा कि स्व जागृत होगा तो हमें विश्व गुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता. राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान शिक्षा नीति हमें केवल नौकरी मांगने वाला बनाती है, नौकरी देने वाला नहीं. वर्तमान शिक्षा नीति युवाओं को जमीन से नहीं जोड़ती है लेकिन इसके विपरीत राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमें किस दिशा में जाना है, बताती है. उन्होंने कहा कि भारत की गौरवशाली संस्कृति और इतिहास रहा है.

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उन्होंने कहा कि (Governor Rajendra Vishwanath Arlekar in HPCU) हम दुनिया का मार्गदर्शन कर सकते थे लेकिन हम अपना गौरवशाली इतिहास भूल चुके थे. उन्होंने कहा कि अनेक वर्षों के बाद अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति आई है जो हमारा मार्ग प्रशस्त कर सकती है. भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर ने कहा कि अंग्रेजों ने 1935 में देश की शिक्षा व्यवस्था को समाप्त करने का षड्यंत्र रचा, जबकि उस समय देश की साक्षरता लगभग 100 प्रतिशत थी. यह आंकड़ा अंग्रेजों के सर्वेक्षण से ही सामने आया था. उन्होंने कहा कि 185 वर्ष के बाद अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति आई है जो वास्तव में भारत की राष्ट्रीय लक्ष्य को रेखांकित करती है.

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उन्होंने कहा कि यह शिक्षा नीति बराबरी का अधिकार देती है. भारतीय भाषाओं को मान्यता देती है. उन्होंने कहा कि भारत में बोली जाने वाली हर भाषा और बोली राष्ट्रभाषा है, लेकिन बिना संवैधानिक संशोधन के अंग्रेजी आज भी हम पर हावी है. उन्होंने कहा कि देश के दस सबसे अधिक जी.डी.पी. वाले देशों में भारत को छोड़कर सभी देशों में शिक्षा उनकी मातृभाषा में दी जाती है. उन्होंने आह्वान किया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने हमें अवसर दिया है जिसका लाभ हम सब को लेने की आवश्यकता है. इससे पूर्व, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने राज्यपाल को सम्मानित किया तथा स्वागत किया.

राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर

उन्होंने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय ऐसा पहला विश्वविद्यालय था जिसने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की मार्गदर्शिका तैयार की तथा इस नीति को कार्यान्वित किया. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को सबसे पहले अपनाने का निर्णय लिया. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के माध्यम से भारतीय संस्कृति से जुड़ाव का ठोस प्रयास किया गया है और पहली बार अपनी भाषा देने का प्रयास हुआ है. भारतीय शिक्षण मंडल के प्रांत अध्यक्ष प्रो कुलभूषण चंदेल, सह संगठन मंत्री शंकरानंद, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता अकादमी प्रो. प्रदीप कुमार, जिला प्रशासन के अधिकारी, विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के आचार्य, शोधार्थी, विद्यार्थी भी इस अवसर पर उपस्थित थे.

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