कांगड़ाःजिला में मौसम का बदलता मिजाज यहां आम व लीची की फसल पर भारी पड़ने लगा है. हालांकि, कांगड़ा में इस बार आम की बम्पर फसल की उम्मीद बागवानों को है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से तेज हवाओं व रुक-रुक कर हो रही बारिश से इस बार दोनों फसलें प्रभावित हो रही हैं. हाल ही में हुई बारिश व आंधियों के चलते जिला भर में गेहूं की फसल को खासा नुकसान पहुंचा है.
वहीं, ऊपरी क्षेत्रों में लीची और निचले इलाकों में आम की फसल भी बर्बाद होना शुरु हो गई है. ऐसे में इस बार बेमौसमी बरसात ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेरना शुरु कर दिया है. हालांकि, बारिश से हुए नुकसान का अभी आकलन नहीं हो पाया है, लेकिन बताया जा रहा है कि आम व लीची की 35 प्रतिशत फसल को नुकसान पहुंचा है.
लीची की फसल पर मौसम की मार
इसके इलावा कई उपमंडलों में आम व लीची फसल पर भी मौसम की मार पड़ी है. बैजनाथ उपमंडल में गेहूं व पालमपुर उपमंडल, भवारना व सुलह में आम व लीची की फसल को नुकसान हुआ है. वहीं, देहरा, हरिपुर भटोली, सुनेहत, नैहरनपुखर, रक्कड़ और परागपुर में आम की फसल को नुकसान हुआ है.
इन फसलों को हुआ नुकसान
नूरपुर व ज्वाली उपमंडल में आम की फसल को 30 से 35 प्रतिशत और कांगड़ा उपमंडल के चंगर क्षेत्रों में गेहूं और नगरोटा बगवां ब्लॉक के कुछ क्षेत्रों में लीची की फसल को 35 प्रतिशत नुकसान बताया जा रहा है. आने वाले दिनों में भी मौसम इसी तरह से खराब रहता है तो किसान-बागवानों के हाथ कुछ भी नहीं आ पाएगा. इस बार खासकर गेहूं की फसल पर दोहरी मार पड़ी है.
आंकड़ों पर नजर डालें तो कांगड़ा में लगभग 40 हजार हेक्टेयर भूमि में फलदार पौधों की पैदावार होती है, जिसमें से लगभग 22 हजार हेक्टेयर भूमि में केवल आम की ही पैदावार की जाती है. कांगड़ा जिला के नूरपुर व इंदौरा समेत नगरोटा बगवां, फतेहपुर, देहरा, नगरोटा सूरियां, लम्बागांव व बैजनाथ के निचले मैदानी क्षेंत्रों में आम की पैदावार में अग्रणी माने जाते हैं. नूरपुर में 4300 और इंदौरा में 6479 हेक्टेयर भूमि पर आम की पैदावार होती है.
बारिश और तूफान से फसल को बर्बाद
समय से पहले बारिश ने गेहूं की फसल को बर्बाद कर दिया था. इस संबंध में अगर कृषि विभाग के विशेषज्ञ की बात करें तो उनके अनुसार जिस प्रकार से मौसम में बदलाव आया है, इसका असर आम व लीची की पैदावार पर पड़ रहा है. विशेषज्ञों ने माना कि बारिश व तूफान से दोनों फसलें प्रभावित हुई हैं.
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