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विज्ञान का वास्तविक उपयोग समाज के हित में होना चाहिए: राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर

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Published : Feb 28, 2022, 7:53 PM IST

हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर सोमवार को कांगड़ा जिले के सीएसआईआर-हिमालय जैव-संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National science day program IHBT palampur) पर आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे. यहां उन्होंने विज्ञान दिवस पर वहां मौजूद लोगों से अपने विचार साझा किए और उसके बाद कई अन्य कार्यक्रमों में शामिल हुए.

Governor Rajendra Vishwanath Arlekar
राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर

पालमपुर:हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर (Governor Rajendra Vishwanath Arlekar) सोमवार को कांगड़ा जिले के सीएसआईआर-हिमालय जैव-संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National science day program IHBT palampur) पर आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कहा कि विज्ञान का वास्तविक उपयोग समाज के हित में होना चाहिए. राज्यपाल ने कहा कि विश्व ने इस दिन प्रख्यात वैज्ञानिक सीवी रमन के वैज्ञानिक आविष्कार को मान्यता प्रदान की और उनके द्वारा दिए गए रमन इफैक्ट पर देश को गर्व है.

उन्होंने कहा कि विज्ञान जीवन का एक अभिन्न अंग है और कई वैज्ञानिक आविष्कार हमारे पूर्वजों के विचारों से प्रेरित हैं. आर्लेकर ने कहा, हमारी मानसिक सोच की कमी कहीं न कहीं हमें सोचने पर मजबूर कर देती है कि यह आज का ही शोध है. उन्होंने कहा कि हमारे ऋषि-मुनियों का शोध आज भी प्रासंगिक है और दुनिया में इसे अब स्वीकार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हमने अध्यात्म को विज्ञान से जोड़ा है, ताकि विज्ञान का उपयोग मानव कल्याण के लिए किया जाए.

उन्होंने कहा कि यह देश के अग्रणी संगठन वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद की प्रतिष्ठित प्रयोगशाला है. इस वर्ष के राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का विषय सतत भविष्य के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एकीकृत दृिष्टकोण है. उन्होंने सन्तोष व्यक्त करते हुए कहा कि यह संस्थान देश के साथ-साथ हिमाचल और अन्य पहाड़ी लोगों के लिए प्रासंगिक प्रौद्योगिकी के विकास और प्रसार के लिए कार्यरत है. उन्होंने संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि सीएसआईआर-आईएचबीटी में अनुसंधान कार्य समाज के हित में किया जा रहा है और अधिकांश शोध कृषक कल्याण के लिए समर्पित हैं.

उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक खोज से समाज को लाभ होना चाहिए और यही हर वैज्ञानिक का लक्ष्य होना चाहिए. इस अवसर पर सीएसआईआर-आईएचबीटी के निदेशक संजय कुमार ने राज्यपाल का स्वागत किया और कहा कि संस्थान राष्ट्रहित में कार्य करना निरंतर जारी रखेगा. उन्होंने कहा कि एससीआईमैगो इंटरनेशनल ने देश के 37 सीएसआईआर संस्थानों में सीएसआईआर-आईएचबीटी को 9वें स्थान पर और नेचर रेंकिंग इंडेक्स -2020 द्वारा सीएसआईआर को देश में शीर्ष वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान के रूप में स्थान दिया गया है.

उन्होंने कहा कि सीएसआईआर-आईएचबीटी (Governor at IHBT palampur) ने जून 2015 से 62 तकनीक विकसित की है और पिछले 6 वर्षों के दौरान कुल 481 समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षरित किए हैं. उन्होंने कहा कि इस संस्थान से वर्तमान में 50 स्टार्टअप और 17 इनक्यूबेट जुड़े हुए हैं. उन्होंने इनक्यूबेटीज, स्टार्ट-अप और उद्यमियों के साथ भी बातचीत की. उन्होंने सीएसआईआर-आईएचबीटी, पालमपुर की प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के प्रयासों की सराहना की. इस दौरान राज्यपाल ने संस्थान के नए प्रयोगशाला ब्लॉक की आधारशिला भी रखी. उन्होंने परिसर में एक यलो बेल का पौधरोपण भी किया. इसके पश्चात उन्होंने ट्यूलिप गार्डन का लोकार्पण भी किया.

राज्यपाल ने इस अवसर पर किसानों को बीज, औषधीय पौधे और पौधों की उन्नत किस्मों का भी वितरण किया. वहीं, राज्यपाल ने वर्चुअल माध्यम से मंडी, कांगड़ा और चंबा में स्थापित छह नई तेल आसवन इकाइयां भी प्रेदशवासियों को समर्पित की। राज्यपाल ने इन क्षेत्रों के किसानों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत भी की. उन्होंने सीडर हाइड्रोलाइज़ेट स्टार्ट-अप का शुभारंभ भी किया. इस अवसर पर राज्यपाल की उपस्थिति में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए दो समझौता ज्ञापन भी हस्ताक्षरित किए गए. उन्होंने इस अवसर पर संस्थान के प्रकाशनों का भी विमोचन किया.

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