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पूर्व MLA अजय महाजन ने राकेश पठानिया पर कसा तंज, कहा- विधायक जी की प्रशासनिक पकड़ कम - पूर्व MLA अजय महाजन ने राकेश पठानिया पर कसा तंज

नूरपुर उपमडंल के पूर्व विधायक अजय महाजन ने राकेश पठानिया पर जुबानी हमला बोला है. उन्होंने कहा कि राकेश पठानिया विधायक बने थे तो उन्होंने सिविल अस्पताल को 200 बिस्तर का अस्पताल बनाने की बात कही थी और मुख्यमंत्री के नूरपुर दौरे पर अस्पताल को दो बिस्तर का दर्जा भी दिया गया था, लेकिन आज तक अस संबंध में कोई काम नहीं किया गया.

Former Mla Ajay Mahajan Statement on  rakesh pathaniya
पूर्व विधायक अजय महाजन

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Published : Dec 1, 2019, 10:53 PM IST

कांगड़ा: जिला कांगड़ा के नूरपुर उपमडंल के पूर्व विधायक अजय महाजन ने मौजूदा विधायक राकेश पठानिया पर निशाना साधा है. अजय महाजन ने कहा कि क्षेत्र के विधायक राकेश पठानिया के दो साल के कार्यकाल को देखते हुए लगता है कि उनकी प्रशासनिक पकड़ या सरकार में सुनवाई कम है. यही कारण है कि नूरपुर विकास क्षेत्र में पिछड़ा है.

ये बात उन्होंने प्रेस वार्ता के दौरान कही. पूर्व विधायक अजय महाजन ने कहा कि जब राकेश पठानिया विधायक बने थे तो उन्होंने सिविल अस्पताल को 200 बिस्तर का अस्पताल बनाने की बात कही थी और मुख्यमंत्री के नूरपुर दौरे पर अस्पताल को दो बिस्तर का दर्जा भी दिया गया था, लेकिन आज तक अस संबंध में कोई काम नहीं किया गया.

वीडियो रिपोर्ट.

उन्होंने बताया कि पालमपुर अस्पताल में 200 बिस्तर की एवज में 32 डॉक्टर्स तैनात हैं, जबकि नूरपुर सिविल अस्पताल में 22 डाक्टर्स की नियुक्तियां करने की घोषणा की गई थी, लेकिन आज के समय में मात्र 14 डॉक्टर्स ही सेवाएं दे रहे हैं.

अजय महाजन ने कहा कि जब वो विधायक थे तो उस समय 100 बिस्तर के अस्पताल में 18 डॉक्टर्स और सभी स्टाफ नर्स नियुक्त थी, लेकिन पांच विधानसभाओं को स्वास्थ्य सेवा देने वाला आज ये अस्पताल रेफर हॉस्पिटल बनकर रह गया है.

उन्होंने कहा कि नूरपुर में 10 करोड़ से पचास बिस्तर का मातृ-शिशु अस्पताल खोलने की मंजूरी मिली थी और उसका शिलान्यास तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने किया था, लेकिन प्रदेश सरकार के दो साल बीतने के बाद भी सरकार मातृ-शिशु अस्पताल का भवन निर्माण नहीं करवा सकी.

बता दें कि जिला के नूरपुर उपमडंल के सिविल अस्पताल में इंदौरा, ज्वाली, फतेहपुर और चंबा की भटियात विधानसभा के लोग अपना इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं, लेकिन अस्पताल में डॉक्टर्स की कमी के कारण लोगों को निजी अस्पताल का रुख करना पड़ रहा है.

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