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पद्मश्री डॉ. यशी ढोडेन का निधन, तिब्बति पद्धति कैंसर पीड़ितों का इलाज करने के लिए थे मशहूर

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Published : Nov 26, 2019, 1:10 PM IST

पद्मश्री डॉ. यशी ढोडेन का मंगलवार सुबह मैक्लोडगंज में निधन हो गया. भारत सरकार ने उनकी सेवाओं के लिए उन्हें पद्मश्री अवार्ड से नवाजा था. डॉ यशी ढोडेन का जन्म 15 मई, 1927 को लहोका, तिब्बत में हुआ था. उनका परिवार नोगोक लोटसा और नोगो चोकेकु डोरजी के लोकप्रिय चिकित्सा वंश से आता है.

Dr Yashi Dhonden passes away
पद्मश्री डॉ. यशी ढोडेन का निधन

धर्मशाला: पद्मश्री डॉ. यशी ढोडेन का मंगलवार सुबह मैक्लोडगंज में निधन हो गया. डॉ यशी ढोडेन मैक्लोडगंज में ही रहते थे और तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के निजी चिकित्सक भी रह चुके हैं.

डॉ. यशी ढोडेन 93 साल के थे और पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे. बता दें कि भारत सरकार ने उनकी सेवाओं के लिए उन्हें पद्मश्री अवार्ड से नवाजा था. डॉ यशी ढोडेन का जन्म 15 मई, 1927 को लहोका, तिब्बत में हुआ था. उनका परिवार नोगोक लोटसा और नोगो चोकेकु डोरजी के लोकप्रिय चिकित्सा वंश से आता है.

यशी ढोडेन बहुत प्रतिभाशाली थे. उन्होंने बीस साल की उम्र में डॉक्टरी की पढ़ाई की थी. वर्ष 1960 में उन्होंने तिब्बती मेडिकल कॉलेज की स्थापना की जिसके वह 1979 तक निदेशक और प्रिंसिपल रहे. यशी ढोडेन 1960 से 1980 तक तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा के निजी चिकित्सक भी रहे.

यशी ढोडेन हर्बल दवाओं और तिब्बती पद्धति से कैंसर पीड़ितों का इलाज करते थे. उनके क्लिनिक में मैक्लोडगंज में बड़ी संख्या में लोग इलाज के लिए विदेश से भी आते थे. वर्ष 2018 में उन्हें हर्बल दवाओं और आहार के माध्यम से हजारों रोगियों के उपचार में योगदान के लिए भारत सरकार की ओर से पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसी साल अप्रैल महीने में उन्होंने रिटायरमेंट ली थी.

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