देहरा: उपमंडल देहरा के हरिपुर राम मंदिर में देहरा विकास मंच की चौथी बैठक का आयोजन हुआ. बैठक में प्रस्तावित देहरा के तमाम इलाकों देहरा, जसवां-प्रागपुर एवं ज्वालाजी विधानसभा क्षेत्र के लोगों ने हिस्सा लिया.
बैठक के दौरान देहरा में सेंट्रल यूनिवर्सिटी के स्थाई कैंपस का काम जल्दी शुरू करवाने को लेकर चर्चा हुई. हरिपुर-खैरिया में सीआरपीएफ के कोबरा सैंटर कैंप की स्थापना में हो रही देरी को सरकार के संज्ञान में लाने पर सहमति बनी ताकि इन प्रोजेक्ट को भी सेंट्रल यूनिवर्सिटी की तर्ज पर लंबा न खींचा जा सके.
इस बैठक में पौंग डैम विस्थापितों के मुद्दे पर भी चर्चा हुई. वरिष्ठ प्रवक्ता पवन बजरंगी ने कहा कि पौंग डैम विस्थापित भी हमारे अपने हैं और ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज इतने अर्से बाद भी इनको अपना हक नहीं मिल पाया है, जबकि 1996 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने विस्थापितों के हक में फैसला सुनाया था. मंच इनके हकों के लिए हर संघर्ष में इनके साथ खड़ा रहेगा.
मंच संयोजक विनोद शर्मा जो सुप्रिम कोर्ट में अधिवक्ता है उन्होंने कहा कि इस विषय में पीड़ित परिवारों की हर संभव मदद दिलाने के लिए कोर्ट के माध्यम से आवश्यक कदम उठाया जाएगा.
इस अवसर पर देहरा विकास मंच के वरिष्ठ प्रवक्ता पवन बजरंगी ने कहा कि जब राजनीतिक शक्ति कमजोर पड़ जाती है तो सामाजिक एकता ही काम आती है. उन्होंने कहा कि सरकार देहरा के हर प्रोजेक्ट में देरी करती है. सरकार घोषणा तो करती है लेकिन काम अधर में लटक कर रह जाते हैं.
मंच संयोजक विनोद शर्मा ने कहा कि प्रदेश आगे बढ़ रहा है और देहरा पिछड़ रहा है. विकसित देहरा के सपने को साकार करने के लिऐ हमें संम्पूर्ण देहरा को एकता के सूत्र में बांधने का काम करना है.
मंच संयोजक विनोद शर्मा ने कहा कि देहरा सरकारों की अनदेखी के कारण विकास में बहुत अधिक पिछड़ गया है जिस कारण देहरा विकास मंच को बनाने की आवश्यकता पड़ी है. उनका लक्ष्य केवल देहरा को जिला बनाना है ताकि इसके अंतर्गत आने वाले 3 विधानसभा क्षेत्रों को विकसित किया जा सके।
राजेश वालिया ने कहा कि देहरा को 1869 में अंग्रेजों ने तहसील बनाया था. तब से लेकर आज तक किसी भी सरकार को देहरा को जिला बनाने का ख्याल नहीं आया, लेकिन सरकार ने उपमंडल हमीरपुर और ऊना को जिला बनाया है. उन्होंने कहा कि देहरा के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है. इसी को बदलने के लिए देहरा विकास मंच की आवश्यकता पड़ी है.
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