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आयुर्वेदिक संस्थान पपरोला में मेडिसिनल लीच का प्रजनन, इस विधि से मरीज हो रहे ठीक

राजीव गांधी स्नातकोत्तर आयुर्वेदिक महाविद्यालय पपरोला के चिकित्सकों ने एक अनूठी पहल शुरू की है. चिकित्सालय परिसर में शल्य तंत्र विभाग और चिकित्सालय प्रशासन के साझा प्रयासों से जलौका, प्रजनन, पालन और अनुसंधान केंद्र की स्थापना की है.

Medicinal Leech at Ayurvedic Institute Paprola
आयुर्वेदिक संस्थान पपरोला

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Published : Oct 29, 2020, 1:00 PM IST

Updated : Oct 29, 2020, 1:23 PM IST

बैजनाथ:राजीव गांधी राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय पपरोला के चिकित्सकों ने एक अनूठी पहल शुरू की है. इसके अंतर्गत चिकित्सालय परिसर में शल्य तंत्र विभाग और चिकित्सालय प्रशासन के साझा प्रयासों से जलौका, प्रजनन, पालन और अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गई है.

यह हिमाचल प्रदेश का पहला ऐसा केंद्र होगा. शल्य तंत्र विभाग में कार्यरत डॉ. गौरव ने बताया कि इससे चिकित्सा में उपयोगी मेडिसिनल लीच का प्रजनन, पालन एवं अनुसंधान चिकित्सालय परिसर में किया जाएगा. उन्होंने बताया कि लीच थेरेपी एक औषधीय रहित चिकित्सा विधि है जिसका उपयोग चर्म रोगों में मधुमेह, व्रण संधिबात सिरागत, विकार, दूषित रक्त जन अधिकार, जन्य विकार और अन्य विकारों में किया जाता है.

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डॉ. गौरव ने कहा कि इस विधि का समय का आधुनिक करण के चलते हनन हुआ है लेकिन कुछ दशकों से इसका पुनः प्रचलन, प्रसार और उपयोग भारत और अन्य यूरोपीय देशों में सफलतापूर्वक किया जा रहा है. इस लीच थेरेपी की सुविधा राजीव गांधी राजकीय स्नातकोत्तर चिकित्सालय परिसर में लगभग 1 साल से शल्य तंत्र की ओपीडी में उपलब्ध है.

इस विधि से अभी तक अनेकों रोगी लाभान्वित हुए हैं लेकिन रोगियों की बढ़ती संख्या देखते हुए लीच की आपूर्ति की कठिनाई के कारण इस केंद्र का निर्माण कर लीच की ब्रीडिंग इसी अस्पताल में शुरू कर दी गई है. इसका जल्द शुभारंभ स्वास्थ्य परिवार कल्याण और आयुर्वेदिक मंत्री डॉ. राजीव सैजल करेंगे.

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Last Updated : Oct 29, 2020, 1:23 PM IST

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