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बदलते समय के साथ रबी फसलों की पैदावार में कमी, कृषि विवि के शोध में खुलासा - पालमपुर में गेहूं की पैदावार कम न्यूज

कांगड़ा के उपमंडल पालमपुर स्थित कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किए शोध से पता चला कि बदलते मौसम की वजह से रबी सीजन में होने वाली गेहूं की फसल पर प्रभाव पड़ा है. कुल्लू के बजौरा और कांगड़ा के मलां में गेहूं का उत्पादन 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहा, जो अन्य तिथियों को बिजी गई गेहूं से अधिक रहा.

Agricultural University palampur did research on Rabi crop
खेत में काम करता किसान

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Published : Jan 21, 2020, 6:33 PM IST

Updated : Jan 21, 2020, 7:40 PM IST

पालमपुर: कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर की एक शोध से पता चला है कि फसल चक्र में परिवर्तन फसल उत्पादन को प्रभावित करने लगा है. अध्ययन में खुलासा हुआ है कि दो साल के रबी सीजन में गेहूं की फसल को लेकर किए गए अध्ययन में ये तथ्य सामने आया है कि बिजाई की तिथियों ने गेहूं के समयबद्ध ग्रोथ साइकिल को प्रभावित किया है.

गेहूं रबी सीजन की प्रमुख फसल है और बड़ी संख्या में किसान गेहूं की बिजाई करते हैं. पिछले कुछ सालों में गेहूं की बिजाई प्रदेश में कई स्थानों पर देरी से हुई है विश्वविद्यालय की ओर से किए गए अध्ययन में सामने आया है कि कुल्लू के बजौरा और कांगड़ा के मलां में गेहूं का उत्पादन 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहा, जो अन्य तिथियों को बिजी गई गेहूं से अधिक रहा. इसके बाद पांच जनवरी तक गेहूं की बिजाई से 40 प्रतिशत कम उत्पादन प्राप्त हुआ. इस अवधि में बिजी गई गेहूं से 28.32 क्विंटल प्रति हेक्टेयर बाद में प्राप्त हुआ है.

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अध्ययन में ये तथ्य भी सामने आए हैं की बिजाई के समय 25 अक्टूबर से 25 दिसंबर तक की देरी के कारण गेहूं में जर्मीनेशन के लिए अधिक समय लिया गया. साथ ही क्रॉउन रूट बनने और टिलरिंग की अवधि भी लंबी हुई है.
कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अशोक सरयाल ने बताया कि पिछले कई सालों से मौसम में बदलाव की वजह से फसलों पर प्रभाव पड़ता है. इसके वजह से हमारे यहां बारिश समय पर नहीं होती है और बर्फ भी देर तक पड़ती है. हालांकि इस साल वर्षा और वर्फ समय पर हुई है और अनुमान है कि गेहूं का उत्पादन इस बार बेहतर रहेगा.

प्रो. अशोक सरयाल ने बताया कि पिछले दो सालों में ये देखा गया कि बारिश समय पर ना होने और बिजाई देर से होने पर फसल के उत्पादन में 40 प्रतिशत की कमी आई है और प्रदेश का 80 प्रतिशत भाग वर्षा पर ही निर्भर है.

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प्रो. अशोक सरयाल ने बताया कि इस बार बारिश समय पर होने से गेहूं पैदावार प्रति हेक्टेयर सिंचाई वाले क्षेत्रों में 35 से 40 प्रतिशत पैदावार रहने का अनुमान है और गेहूं का उत्पादन इस बार बेहतर रहेगा.

Last Updated : Jan 21, 2020, 7:40 PM IST

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