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कोरोना फैलाने के लिए चीन पर इंटरनेशनल कोर्ट में केस करेगा हिमाचल का वकील, अनुमति के लिए भेजा पत्र - International Court of Justice Netherlands

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस नीदरलैंड में चीन के खिलाफ कोविड-19 को पूरे विश्व में फैलाने को लेकर एक धर्मशाला के वकील विश्व चक्षु ने अपील की है. दरअसल विश्व चक्षु ने केस करने के लिए कोर्ट में परमिशन के लिए अप्लाई कर दिया है, ताकि चीन के खिलाफ इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस नीदरलैंड में केस दर्ज किया जा सके.

Advocate Vishwa Chakshu
वकील विश्व चक्षु

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Published : Jun 30, 2020, 12:58 PM IST

धर्मशाला: वैश्विक महामारी को पूरे विश्व में फैलाने के आरोप में अधिवक्ता विश्व चक्षु ने चीन के खिलाफ इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस नीदरलैंड में जाने की तैयारी की है. अधिवक्ता विश्व चक्षु कांगड़ा जिला से संबंध रखते हैं. इंटरनेशनल कोर्ट में केस करने के लिए चक्षु ने मंगलवार को अदालत में परमिशन लेटर दिया है. केस करने की अनुमति मिलने पर इंटरनेशनल कोर्ट में ही चीन के खिलाफ मामला चलेगा.

बता दें कि अधिवक्ता विश्व चक्षु ने पत्र में लिखा है कि चीन ने पूरी दुनिया में कोविड-19 महामारी फैलाई. इस महामारी ने पूरे विश्व में तबाही और त्रासदी मचाई है, जिससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में चीन के खिलाफ केस दर्ज करने की अनुमति मांगी है.

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विश्व चक्षु ने पत्र में लिखा है कि चीन ने कोरोना वायरस की वजह से पूरे विश्व को खतरे में डाल दिया है. जिससे अब तक कोरोना महामारी के कारण लगभग एक करोड़ से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं, जबकि पांच लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

वकील विश्व चक्षु ने कहा कि भारत में कोरोना का पहला केस 30 जनवरी 2020 को आया था. अब आलम ये है कि महामारी के प्रकोप से देश में पांच लाख 30 हजार लोग संक्रमित हो चुके हैं, जिसमें से 16 हजार 103 लोगों की मौत हो चुकी है. उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से देश की पूरी आर्थिक स्थिति डगमगा गई है, जिससे लोगों को बेरोजगारी, तनाव सहित अन्य परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं.

विश्व चक्षु ने बताया कि कोरोना जैसी महामारी को पैदा करने को लेकर चीन के खिलाफ केस करने की अनुमति के लिए आज कोर्ट में लेटर दिया गया है, ताकि इंटरनेशनल कोर्ट में चीन के खिलाफ केस दर्ज किया जा सके. उन्होंने कहा कि पत्र की प्रतिलिपि सर्वोच्च न्यायालय, भारत सरकार, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट और हिमाचल सरकार को भेज दी गई है.

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