धर्मशाला: गैर इरादतन हत्या के मामले में दोषी सिद्ध होने पर न्यायालय ने 2 दोषियों को 7 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही दोषियों पर 18 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया है.
2009 के मामले में आया फैसला
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश 1 धर्मशाला के न्यायधीश पारस डोगर ने मामले में यह फैसला सुनाया है. जिला न्यायवादी राजेश वर्मा ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि 5 मार्च 2009 को नूरपुर में मामला दर्ज हुआ था.
क्या है मामला
शिकायतकर्ता मनोहर लाल निवासी नूरपुर ने अपने बयान में कहा था कि उनके घर में जगराता था. इस दौरान क्षेत्र के ही एक व्यक्ति का जमाई बलबीर रात को 11 बजे नशे की हालत में कार्यक्रम में पहुंचा था. इस दौरान बलबीर जगराता गाने वाले लोगों से गाली-गलौच व मारपीट करने लगा, जिस पर मनोहर और उसके भाई बलबीर को उसके ससुराल में छोड़ आए
इसके बाद बलबीर के साले तिलक राज और जीत राज निवासी डैक्वां रात को डेढ़ बजे गालियां निकालते हुए उनके घर में पहुंचे. उन्होंने कार्यक्रम में तोड़फोड़ की. मनोहर ने बताया था कि इस दौरान उनके पिता डूमणू राम आरोपियों को ऐसा करने से रोकने लगे, जिस पर तिलक राज और जीत राज ने डूमणू राम को पकड़कर जमीन पर पटक दिया. इस घटना में डूमणू राम के सिर में गंभीर चोटें आई और अस्पताल में उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई.
मामले में पुलिस ने की छानबीन
पुलिस ने जांच के बाद आरोपी बलबीर, तिलक राज और जीत राज के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी. पुलिस जांच के बाद मामला न्यायालय में पहुंचा जहां अभियोजन पक्ष की ओर से मामले में 24 गवाह पेश किए गए. इस मामले में बलबीर के खिलाफ के खिलाफ सबूत न मिलने पर उसको बरी कर दिया गया जबकि गैर इरादतन हत्या करने के चलते तिलक राज और जीत राज को 7 साल के कठोर कारावास व 18 हजार रुपये का जुर्माना देने की सुनाई है. मामले की पैरवी जिला उप न्यायवादी संदीप अग्रिहोत्री ने की है.
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