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नगर निगम पालमपुर के विरोध में उतरे 14 पंचायतों के प्रधान, ग्रामीण क्षेत्रों को बाहर रखने की मांग

14 पंचायतों के प्रधान व प्रतिनिधियों ने पालमपुर को नगर निगम बनाने का विरोध किया है. इसे लेकर धर्मशाला में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए पंचायत प्रधानों ने गांवों को नगर निगम से बाहर रखने की मांग की है. उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन ने उनकी मांग पूरी नहीं की तो वे अदालत के पास मामले को ले जाने से गुरेज नहीं करेंगे.

Municipal Corporation Palampur
Municipal Corporation Palampur

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Published : Oct 6, 2020, 7:38 PM IST

धर्मशालाः नगर परिषद पालमपुर को नगर निगम बनाने के विरोध में मंगलवार को 14 पंचायतों के प्रधान व प्रतिनिधि उतर आए हैं. मंगलवार को धर्मशाला में प्रेस वार्ता में विधानसभा पालमपुर की 14 पंचायतों के प्रतिनिधियों ने संयुक्त बयान में कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों को भी नगर निगम में डाला जा रहा है, जोकि सरासर गलत है.

उन्होंने बताया कि उनकी पंचायतों में 90 फीसदी लोग किसान व निर्धन परिवारों से संबंध रखते हैं. इन सभी 14 पंचायतों की वार्षिक आय करीब 37 लाख रुपये है, लेकिन प्रशासन ने उसे 1.5 करोड़ रुपए बताई है. यह सरासर गलत है और लोगों के साथ धोखा किया जा रहा है. उन्होंने कुछ नेताओं पर आरोप लगाए कि साल 2009 में जब पालमपुर को जिला बनाने की बात की जा रही थी, तो वे इसका विरोध कर रहे थे.

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अब वही नेता नगर परिषद का विस्तारीकरण कर उसे नगर निगम में बदल रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि नगर परिषद में पिछले सात सालों में कोई विकास नहीं हुआ है. नप के अधिकारी आज दिन तक पालमपुर में एक पार्किंग तक तो बना नहीं सके, तो वे नगर निगम बनाने की बात कैसे कर रहे हैं.

पंचायत बंदला, भरमार्थ, टांडा, कलेड़, आइमा, मौहाल बनूरी, लौना व अन्य पंचायतों के प्राधान व प्रतिनिधियों ने कहा कि अगर इन क्षेत्रों को नगर निगम में डाला जाता है तो किसान व निर्धन लोगों के लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो जाएगी. उन्होंने बताया कि एसडीएम के साथ एक बैठक की गई थी, जिसमें ज्यादातर प्रतिनिधियों ने नगर निगम बनने से साफ मना किया था.

मांग पूरी न होने पर खटखटाएगें कोर्ट का दरवाजा

उन्होंने एसडीएम को सभी 14 पंचायतों के प्रतिनिधियों ने वार्षीय आय की बताई थी, लेकिन मंत्रियों के दबाव में इस आय को 1.5 करोड़ रुपये बताया है. इससे साफ पता चलता है कि प्रशासन मंत्रियों के दबाव में आकर कार्य कर रहा है. उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर आठ अक्तूबर तक इस फैसले को वापस नहीं लिया गया तो वे स्टे के लिए हाई कोर्ट की दरवाजा खटखटाएगें.

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