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चंबा में बर्फबारी के बीच निकली बारात, बारातियों ने 6 किलोमीटर पैदल किया सफर - himachal pradesh news

चंबा जिले के उपमंडल सलूणी में 4 फीट बर्फ की परत (wedding between snowfall in Chamba) पर दुल्हन को ब्याहने के लिए बारातियों ने छह किमी का लंबा सफर पैदल तय किया. रविवार देर शाम बारात दुल्हन के घर पहुंची. देर रात निर्धारित समय पर दूल्हा-दुल्हन के फेरे हुए, लेकिन सोमवार सुबह वापसी के दौरान बर्फबारी का क्रम फिर से जारी हो गया. लिहाजा, शाम के समय कुछ देरी के लिए थमी बर्फबारी में दुल्हन की विदाई हो पाई.

चंबा में बर्फबारी के बीच निकली बारात
चंबा में बर्फबारी के बीच निकली बारात

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Published : Jan 24, 2022, 10:02 PM IST

चंबा: पारंपरिक परंपराओं का वहन करना बड़ी चुनौतियों का कारण भी बन जाता है. इसी प्रकार का मामला उपमंडल सलूणी के अधीन आते क्षेत्र में देखने को मिला. यहां आसमान से गिर रहे बर्फ के फाहे और 4 फीट बर्फ की परत पर दुल्हन को ब्याहने के लिए बारातियों ने छह किमी का लंबा सफर पैदल तय किया.

रविवार देर शाम बारात दुल्हन के घर पहुंची. देर रात निर्धारित (wedding between snowfall in Chamba) समय पर दूल्हा-दुल्हन के फेरे हुए, लेकिन सोमवार सुबह वापसी के दौरान बर्फबारी का क्रम फिर से जारी हो गया. लिहाजा, शाम के समय कुछ देरी के लिए थमी बर्फबारी में दुल्हन की विदाई हो पाई.

वहीं, बीडीसी उपाध्यक्ष योगराज शर्मा ने बताया कि ग्राम पंचायत सनूंह के गांव भिदरोह नाला निवासी वनीत ठाकुर पुत्र चमारू राम की शादी भांदल क्षेत्र के अधीन आते डंडोरी निवासी निशा कुमारी पुत्री जगदीश से तय हुई. पारंपरिक रीति-रिवाज अनुसार लड़के-लड़की की शादी मुकर्र होने पर शादी का शुभ मुहुर्त भी निकाला गया. 23 ‌जनवरी की रात दस बजे का मुहुर्त तय हुआ.

वीडियो.

वहीं, बीते रविवार को (snowfall in Chamba) मौसम के बदले मिजाज के चलते क्षेत्र में बर्फबारी का क्रम जारी हो गया. निर्धारित तिथि को दुल्हे वनीत ठाकुर के घर से बारात निकली. इस दौरान बर्फबारी का क्रम भी जारी हो गया. क्षेत्र में चार फीट बर्फ में छह किमी का सफर तय कर पालकी में उठाकर दूल्हे को ससुराल पहुंचाया गया. जहां पर देर रात निर्धारित शुभ मुहुर्त पर दोनों ने सात फेरे लिए.

प्रबुधजनों में हाकम चंद, होशियारा राम, प्रकाश चंद ने बताया कि जन्मपत्री के हिसाब से लड़के-लड़की के लग्न जोड़ते हैं. लग्न का समय जुड़ने पर उसी समय पर फेरे लेने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. ऐसा न होने पर शादी की अगली शुभ घड़ी तक का इंतजार करना पड़ता है.

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