चंबा: चंबा जिले में बनने वाली विश्व विख्यात चंबा चप्पल का करोबार इन दिनों महंगाई की मार झेल रहा है. आलम (world famous chamba chappal) यह है कि एक साल में 10 लाख के करीब कारोबार करने वाले व्यापारी आज दो से तीन लाख का ही कारोबार कर पा रहा है. इस चप्पल का इतिहास 500 साल पुराना है. 16वीं शताब्दी में चंबा के राजा की पत्नी के दहेज में कारीगर चंबा लाए गए थे, जो राज परिवार के लोगों के ही चप्पल (Histroy of chamba chappal) बनाते थे.
उसके बाद धीरे-धीरे यह परंपरा आगे बढ़ी और चंबा चप्पल को रोजगार का जरिया भी बनाने के लिए राज परिवार ने कार्यों को छूट प्रदान की. उसके बाद चंबा जिला में चंबा चप्पल का उदय हुआ. लेकिन पहले इस चप्पल के कारोबार पर कोरोना मार पड़ी और अब महंगाई के चलते कारोबार पर काफी असप पड़ा है. कोरोना से पहले चंबा चप्पल का कारोबार करने वाला प्रत्येक दुकानदार 8 से दस लाख रुपए कमाते थे, जिससे कारीगरों का परिवार भी चलता था.
मुनाफा अधिक होने की वजह से जिले के काफी कारीगर इस कार्य (How chamba chappal are made) को पिछले कई दशकों से करते आ रहे थे, लेकिन चंबा चप्पल का कारोबार करने वाले कारीगरों को कोरोना वायरस काल में तीन से चार लाख का नुकसान हुआ है. कोरोना की मार से अब तक यह कारोबार उभर नहीं पाया है. लॉकडाउन के दौरान जो उत्पाद तैयार किए गए थे. वह सब खराब हो गए. इस नुकसान की भरपाई करना कारीगरों के लिए काफी मुश्किल हो गया है. साथ ही, महंगाई की मार भी इन्हें झेलनी पड़ रही है.