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स्वास्थ्य निदेशक की गिरफ्तारी पर आशा कुमारी ने खड़े किए सवाल, जयराम सरकार को घेरा

कांग्रेस विधायक आशा कुमारी ने स्वास्थ्य विभाग में हुए कथित घोटाले को लेकर प्रदेश सरकार को घेरा है. आशा कुमारी ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि अगर हिमाचल प्रदेश में किसी को इस्तीफा देना है तो मुख्यमंत्री को देना चाहिए, क्योंकि स्वास्थ्य विभाग मुख्यमंत्री के पास है.

MLA Asha Kumari on health department scam
विधायिका आशा कुमारी

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Published : May 31, 2020, 5:10 PM IST

चंबाःस्वास्थ्य विभाग में हुए कथित घोटाले को लेकर प्रदेश में वार-पलटवार का दौर जारी है. इस मुद्दे पर विपक्ष सरकार को घेरने की पूरी तैयारी में है. डलहौजी से कांग्रेस विधायक आशा कुमारी ने स्वास्थ्य निदेशक की गिरफ्तारी को लेकर सरकार को घेरा है.

आशा कुमारी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी स्वास्थ्य विभाग में गड़बड़ी को लेकर हिमाचल प्रदेश के पूर्व मंत्री रविंद्र रवि ने भी लेटर बम निकाला था. इसके बाद इस पूरे घटनाक्रम को छुपाने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है.

कांग्रेस विधायक का कहना है कि मध्य प्रदेश बीजेपी के दो पूर्व मुख्यमंत्री भी इस घोटाले को लेकर अपनी प्रतिक्रियाएं दे चुके हैं. ऐसे में यह समझ नहीं आता है कि लेन-देन की बात स्वास्थ्य विभाग के निदेशक करते हैं और इस्तीफा भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष देते हैं. उन्होंने कहा कि ये समझ नहीं आ रहा है कि डॉ. राजीव बिंदल किस बात को लेकर इस्तीफा दे रहे हैं.

वीडियो रिपोर्ट

कांग्रेस विधायक आशा कुमारी ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि अगर हिमाचल प्रदेश में किसी को इस्तीफा देना है तो मुख्यमंत्री को देना चाहिए, क्योंकि स्वास्थ्य विभाग मुख्यमंत्री के पास है. हालांकि सरकार ने लॉलीपॉप देने का काम करते हुए कहा कि घूस कांड मामले को लेकर निष्पक्ष जांच होगी, लेकिन मुख्यमंत्री के पास स्वास्थ्य और गृह मंत्रालय है. ऐसे में मामले को लेकर मुख्यमंत्री के खिलाफ कैसे कार्रवाई होगी.

आशा कुमारी ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग में घोटालों की लंबी फेहरिस्त है, जिसकी जांच हाई कोर्ट जज या सर्वोच्च न्यायालय के जज से होनी चाहिए. सीबीआई को इसकी जांच सौंपी जानी चाहिए, ताकि निष्पक्ष जांच हो सके. आशा कुमारी ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग कोई नया कारनामा नहीं कर रही है. प्रदेश सीएमओ द्वारा जिले में बिना टेंडर के करोड़ों रुपये के हिसाब से दवाइयां खरीदी जा रही है, जिसकी कोई जांच नहीं हो रही है.

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