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जानवरों के साथ जिंदगी गुजारने को मजबूर परिवार, नुमाइंदों ने भी नहीं सुनी गुहार - डीलराम की गरीबी कहानी

ये दर्द 21वीं सदी के उस परिवार का है. जिनकी जिंदगी जानवरों से भी बदतर हो गई है. कहने को 5 लोगों का ये परिवार इस घर में रहता है, लेकिन घर ऐसा कि खंडहर शरमा जाए. मजबूरी इंसान से क्या-क्या करवाती है. रहने लायक घर नहीं तो मवेशियों के साथ रहने को मजबूर हैं. जब जिंदगी जानवरों के साथ कट रही हो तो बिजली की सुविधा तो दूर की कौड़ी है.

A poor family in Chamba live in a house with animal
डीलराम का परिवार

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Published : Feb 7, 2020, 9:40 PM IST

चंबा: विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज के विधानसभा क्षेत्र चुराह की ग्राम पंचायत चान्जु पंचायत के लकणू गांव में रह रहे डीलराम का परिवार आजादी के 70 साल बाद भी बिजली और घर के लिए तरस रहा है.

सरकारें गरीबों की बेहतरी के लाख दावे कर ले, लेकिन इस परिवार को वादों और दावों के अलावा कुछ नहीं मिला. गुहार लगाई, चुने हुए नुमाइंदों के पैर तक पड़े , लेकिन किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी.

लकणू गांव में रह रहे डीलराम का घर.

बता दें कि परिवार इतनी गरीबी की इतनी मार झेल रहा है कि वो मवेशियों के साथ रहने को मजूबर हैं. कोलकाता के बाद चंबा ही दूसरा ऐसा क्षेत्र था जहां बिजली पैदा होती थी, लेकिन अब इसी क्षेत्र के लोग बिजली से वंचित हैं.

वीडियो रिपोर्ट

पीड़ित डीलराम ने बताया कि उन्हें सरकार द्वारा कोई भी सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं, चाहे वो उज्ज्वला योजना हो या फिर प्रधानमंत्री आवास योजना. उन्होंने कहा कि कई बार अपनी समस्या से स्थानीय विधायक को अधिकारियों को अवगत कराया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

वहीं, जब डीलराम की पत्नी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि घर न होने की वजह से उनको पशुओं के साथ रहना पड़ रहा है. साथ ही वो कहती है कि अगर सरकार के पास गोली है, तो वो उन्हें और उनके परिवार को गोली मार दें.

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