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चंबा में 923 नौनिहाल पाए गए अति कुपोषित, महिला एवं बाल विकास विभाग की जांच में खुलासा

चंबा में 923 नौनिहाल अति कुपोषित (सैम) और 6393 बच्चे कुपोषित (मैम) पाए गए हैं. सर्वेक्षण में लंबाई व वजन को आधार माना गया है. विभाग की ओर से एकत्रित किए गए आंकड़े शून्य से पांच वर्ष तक के नौनिहालों के हैं. अति कुपोषित एवं कुपोषित श्रेणी में पाए जाने वाले नौनिहालों को आंगनबाड़ी केंद्र के माध्यम से हर माह मिलने वाली डाइट को पहले के बजाय दोगुना कर दिया गया है.

923 children have been found to be malnourished In Chamba district
चंबा जिला

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Published : Feb 20, 2021, 2:47 PM IST

चंबाःजिले में चार माह के दौरान 923 नौनिहाल अति कुपोषित (सैम) पाए गए हैं. 6393 बच्चे कुपोषित (मैम) पाए गए हैं. महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से सितंबर से लेकर दिसंबर तक चंबा में एक लाख 79 हजार 390 नौनिहालों की जांच के दौरान यह पता चला है.

हर माह मिलने वाली डाइट किया दोगुना

सर्वेक्षण में लंबाई व वजन को आधार माना गया है. विभाग की ओर से एकत्रित किए गए आंकड़े शून्य से पांच वर्ष तक के नौनिहालों के हैं. अति कुपोषित एवं कुपोषित श्रेणी में पाए जाने वाले नौनिहालों को आंगनबाड़ी केंद्र के माध्यम से हर माह मिलने वाली डाइट को पहले के बजाय दोगुना कर दिया गया है.

नौनिहालों को कुपोषित होने से बचाया

इसके अलावा माताओं को भी उन्हें समय-समय पर संतुलित आहार देने की सालाह दी जाती है, ताकि नौनिहालों को कुपोषित होने से बचाया जा सके. इसके बावजूद अगर किसी बच्चे की ग्रोथ कम रहती है, तो उन्हें चिकित्सीय जांच की सलाह दी जाती है.

विटामिन की कमी

कुपोषण के कारण नौनिहालों को संतुलित आहार, प्रोटीन न मिलने के साथ विटामिन की कमी होने से कुपोषण का खतरा बढ़ जाता है. इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है, जिससे कई तरह की बीमारियां जन्म लेती हैं.

वहीं, परियोजना अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग चंबा जगदीश राज ने बताया की चार माह के दौरान चंबा में 923 नौनिहाल अति कुपोषित पाए गए हैं, जबकि 6000 से अधिक बच्चे कुपोषण की श्रेणी में आंके गए हैं. इन कुपोषित व अति कुपोषित बच्चों को आंगनबाड़ी से मिलने वाली डाइट को दोगुना कर दिया जाता है, ताकि कुपोषण को दूर किया जा सके.

कुपोषित बच्चों को भेजा जाता है एनआरसी सेंटर

इसके अलावा मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजेश गुलेरी ने बता कि अति कुपोषित(सैम) पाए जाने के बाद जिन बच्चों को महिला एवं बाल विकास विभाग (आइसीडीएस) की ओर से स्वास्थ्य विभाग के पास भेजा जाता है, उन्हें चिकित्सीय जांच के बाद कुछ जरूरी दवा दी जाती है. सेहत को देखते हुए ऐसे बच्चों को एनआरसी सेंटर भी भेजा जाता है.

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