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प्रदेश के मत्सयपालक बनेंगे उद्यमी, नेशनल वर्कशॉप में वैज्ञानिकों और एक्सपर्ट ने किया मंथन

बिलासपुर में मत्स्य पालन में नवीनतम उन्नति, प्रौद्योगिकी और उद्यमिता पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस दौरान प्रदेश में ट्राउट और कार्फ उत्पादन से जुड़े मत्सयपालक को उद्यमी बनाने पर चर्चा की गई.

Two day National Workshop on Advancement and Entrepreneurship in Fisheries at Bilaspur
नेशनल वर्कशॉप में वैज्ञानिक-एक्सपर्ट ने किया मंथन

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Published : Dec 22, 2019, 10:18 AM IST

बिलासपुर: हिमाचल में ट्राउट और कार्प उत्पादन से जुड़े मत्स्यपालक अब उद्यमी बनेंगे. इस बाबत मत्स्य विभाग ने योजना पर काम शुरू कर दिया है. कार्प और ट्राउट प्रजाति की मछली की ब्रांडिंग और प्रोडक्शन बढ़ाने को लेकर देश भर से जुटे वैज्ञानिकों-एक्सपर्ट ने दो दिन तक भाखड़ा विस्थापित शहर बिलासपुर में मंथन किया. एक्सपर्ट की राय और सुझावों पर अमल करते हुए अब विभाग की ओर से एक वृहद कार्य योजना तैयार की जाएगी, जिसे प्रदेश में लागू किया जाएगा.

मत्स्य पालन में नवीनतम उन्नति, प्रौद्योगिकी और उद्यमिता पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन पर मत्स्य निदेशक सतपाल मेहता ने कहा कि प्रदेश में मत्स्य उत्पादन में बढ़ोतरी में लिए क्लस्टर सिस्टम अपनाया जाएगा, जिसके तहत चुनिंदा जिलों में जगह का चयन कर फोर्सेस के समूह बनाए जाएंगे और मछली उत्पादन की नवीनतम तकनीक पर उत्पादन शुरू करवाया जाएगा.

वीडियो रिपोर्ट.

बता दें कि नालागढ़ और ऊना में कुछेक किसानों द्वारा शुरू किए गए प्रोजेक्ट के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं. दो दिन तक चली इस राष्ट्रीय कार्यशाला में वैज्ञानिकों ने मत्स्य पालन के क्षेत्र में नवीनतम तकनीक पर मंथन और चिंतन किया है और कार्यशाला में जो भी सुझाव और शोध निकलकर सामने आए है, उन्हें एक कार्य योजना के जरिए प्रदेश में इम्प्लीमेंट किया जाएगा, ताकि चुनौतियों का सामना कर रहे 17 हजार से ज्यादा परिवारों को लाभ मिल सके.

कार्यशाला में बॉयोफिल्टर विधि के जरिए किस प्रकार से कम पानी मे ज्यादा से ज्यादा मछली उत्पादन किया जा सकता है, इस बाबत अहम तकनीकी जानकारियां वैज्ञानिकों की ओर से दी गई है. इसके साथ ही फिश प्रोसेसिंग के तहत विभिन्न प्रकार के मछली के व्यंजन तैयार कर डायरेक्ट मार्केट में मार्केटिंग को लेकर सुझाव सामने आए हैं कि किस प्रकार से मछली को तीन साल तक फ्रेश रखा जा सकता है.

नेशनल वर्कशॉप के नेशनल फिशरीज डेवेलपमेंट बोर्ड के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रतनीराज, रिटायर्ड निदेशक एवं कंसलटेंट एनएफडीबी आईएन पंडता, सर्वे ऑफ इंडिया के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. हर्षवर्धन जोशी, मुम्बई से सीनियर साइंस्टिस्ट उपासना साहू, आरएस आगरा के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. पुनीत, सिक्किम के मत्स्य निदेशक सुनील प्रधान सहित अन्य विशेषज्ञ मौजूद रहे.

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