बिलासपुर: विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी में गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है. मां के दरबार में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, यूपी, बिहार, उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों के श्रद्धालु पहुंच रहे हैं.
3 जुलाई से आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष के गुप्त नवरात्रि शुरू हो गई हैं. इसी कड़ी में श्रद्धालु हवन, कन्या पूजन कर अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना कर रहे हैं. साल भर में प्रदेश के शक्तिपीठों पर 4 नवरात्रि मनाई जाती हैं, जिनमें दो गुप्त नवरात्रि आषाढ़ मास और माघ मास के शुक्ल पक्ष के चैत्र और अश्विन मास में नवरात्रि मनाई जाती हैं.
गुप्त नवरात्रि का महत्व
गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक और अघोरी आधी रात में मां दुर्गा की पूजा करते हैं. इस दौरान वो चमत्कारी शक्तियां और तंत्र-मंत्र सिद्धि पाने के लिए पूजा करते हैं. मान्यता है कि इस दौरान साधना करने से विशेष तांत्रिक शक्तियां हासिल होती हैं. समान्य साधक भी अगर गुप्त नवरात्रि के दौरान पूजा करता है, तो उसे नौ गुने अधिक फल की प्राप्ति होती है.
विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी के दर्शन के लिए आए भक्त किस दिन होती है किस मां के स्वरूप की आराधना
गुप्त नवरात्रि में खास साधक ही साधना करते हैं और वो अपनी साधना भी गुप्त रखते हैं, ताकि वो माता को जल्दी प्रसन्न कर सकें. दूसरे नवरात्र के भांति ही गुप्त नवरात्रि में पहले दिन शैल पुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कृष्माण्डा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी, नौवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.
इस विधि से करें गुप्त नवरात्रि पूजा
इस व्रत में मां दुर्गा की पूजा देर रात में करनी चाहिए. इसके बाद मूर्ति स्थापना के बाद मां दुर्गा को लाल सिंदूर और लाल चुनरी के साथ-साथ नारियल, केले, सेब, तिल के लड्डू, बताशे चढ़ाएं जाते हैं. माता के चरणों पर लाल गुलाब के फूल भी अर्पित करने के बाद गुप्त नवरात्रि के दौरान सरसों के तेल से ही दीपक जलाएं और साथ ही 'ॐ दुं दुर्गायै नमः' का जाप करना चाहिए.