बिलासपुर:राष्ट्रीय सेवा विधिक प्राधिकरण के तत्वाधान में, आजादी के 75वें वर्षगांठ के उपलक्ष्य में 'आजादी का अमृत महोत्सव' के तहत 'पेन इंडिया अवेयरनेस एंड आउटरीच' अभियान का आयोजन जिला परिषद सभागार में आयोजित किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता न्यायमूर्ति त्रिलोक सिंह चौहान न्यायाधीश हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय एवं कार्यकारी अध्यक्ष राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा की गई. इस दौरान उन्होंने कहा कि, पंचायत स्तर पर स्थापित कानूनी सेवा केन्द्रों में लोगों को निशुल्क विधिक परामर्श प्रदान किया जा रहा है जिसके बारे में लोगों को अधिक से अधिक जानकारी दी जानी चाहिए ताकि लोग इस सेवा का लाभ उठा सकें.
न्यायमूर्ति त्रिलोक सिंह चौहान ने कानूनी जागरूकता कार्यक्रम में आए सभी आंगनवाडी कार्यकर्ताओं, पर्यवेक्षक, सीडीपीओ, पीएलबी कार्यकर्ताओं से कानूनी प्रक्रिया को आमजन तक पहुंचाने के लिए विचार-विमर्श किया. उन्होंने कानूनी प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए और उसमें अधिक सुधार लाने के लिए फिडबैक भी लिया. उन्होंने कहा कि, न्याय सबके लिए है, इसके लिए न कोई अपना है न बेगाना है, न छोटा है और न बड़ा. न्यायालय लोगों को न्याय प्रदान करने के लिए हमेशा प्रयासरत है.
उन्होंने कहा कि आर्थिक दृष्टि से गरीब, पिछड़े और कमजोर वर्ग खासकर महिलाएं, असहाय बच्चे, बूढ़े माता-पिता जिनका कोई अपना भरण-पोषण का सहारा नहीं है इन सभी को कानूनी अधिकारों से अवगत करवाने या जो अपने विधिक अधिकारों का प्रयोग करने में असर्थम हैं ऐसे व्यक्तियों को निशुल्क कानूनी सहायता, कानूनी सलाह और कानूनी शिक्षा प्रदान करने के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण प्रयासरत है. प्राधिकरण द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए पूरी तरह निशुल्क कानूनी सहायता प्रदान की जाती है.
न्यायमूर्ति त्रिलोक सिंह चौहान ने कहा कि, कोरोना महामारी के चलते लोक अदालतों में थोड़ा विराम तो लगा था लेकिन अब लोक अदालतों को दुबारा शुरू कर दिया गया है. जिससे मुकद्दमों का बोझ कम करने में बल मिलेगा. उन्होंने कहा कि 11 दिसम्बर को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन राष्ट्र स्तर पर किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त विवादों को निपटाने के लिए मध्यस्थता मुकदमेबाजी की तुलना में कहीं अधिक संतोषजनक तरीका है. मध्यस्थता के माध्यम से निपटाए गए मामलो में अपील और पुनर्विचार की आवश्यकता नहीं होती है और सभी विवाद पूरी तरह निपट जाते हैं. इस समय हिमाचल प्रदेश में 12 मध्यस्थता केन्द्र कार्य कर रहें हैं.