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आंदोलन में किसान आत्महत्या का जिम्मेदार कौन, रामलाल ठाकुर ने केंद्र पर उठाए सवाल

विधायक रामलाल ठाकुर ने किसान आंदोलन में संत बाबा राम सिंह की आत्महत्या को लेकर संवेदना व्यक्त की है. साथ ही उन्होंने ने केंद्र सरकार से सवाल करते हुए पूछा कि उनकी मौत के लिए कौन जिम्मेदार है. विधायक ने कहा कि केंद्र सरकार को कृषि कानूनों को लेकर फिर र्विचार करना चाहिए और किसान हितों को ध्यान में रखते हुए इन कानूनों को वापस लेना चाहिए.

MLA ramlal thakur
MLA ramlal thakur

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Published : Dec 18, 2020, 9:00 PM IST

बिलासपुरःविधानसभा क्षेत्रनैना देवी के विधायक रामलाल ठाकुर ने किसान आंदोलन में संत बाबा राम सिंह की आत्महत्या को लेकर दुख प्रकट किया है. विधायक रामलाल ठाकुर ने सरकार से सवाल करते हुए पूछा कि उनकी मौत के लिए कौन जिम्मेदार है.

रामलाल ठाकुर ने कहा कि दिल्ली-हरियाणा सिंघु बार्डर पर धरने में शामिल संत बाबा राम सिंह ने कथित रूप से किसानों की समस्या और सुनवाई नहीं होने से दुखी होकर खुद को गोली मार ली. इससे यह लगता है कि यह सरकार किसानों को लेकर बहुत ही संवेदनहीन है और जनविरोधी है.

नैना देवी विधायक ने कहा कि संत राम सिंह करनाल के रहने वाले थे और गुरुद्वारा साहिब नानकसर सिंघरा गांव की गद्दी पर थे. हरियाणा-पंजाब के अलावा दुनिया भर में बड़ी संख्या में उनके अनुयायी हैं. उन्होंने कहा कि नए कृषि कानूनों को लेकर पिछले 21 दिनों से चल रहे किसानों के आंदोलन में घटना घटी वह एक स्तब्ध करने वाली घटना थी.

केंद्र को बताया 'निरंकुश तानाशाही वाली सरकार'

उन्होंने कहा कि रामलाल ठाकुर ने कहा पुलिस को मौके पर मृतक का एक सुसाइड नोट भी मिला है. इसमें उन्होंने जुल्म और अन्याय के खिलाफ न झुकने का संकल्प दिखाया था. जिसकी पुष्टि उनके सेवादार गुरमीत सिंह ने भी की है. राम लाल ठाकुर ने कहा कि यदि भारत में संत ही सरकार के विरोध स्वरूप आत्महत्या करने लग जाए तो लोगों को समझ जाना चाहिए कि यहां पर अंग्रेजों की तरह निरंकुश तानाशाही वाली सरकार चल रही है.

'कृषि कानूनों को वापस ले सरकार'

रामलाल ठाकुर ने कहा कि किसानों पर लाए गए कानूनों का प्रभाव हिमाचल प्रदेश के किसानों और बागवानों पर भी पड़ रहा है और यह प्रतिकूल प्रभाव देश के हर सेक्टर पर पड़ेगा. इससे आम आदमी का जीवन मुश्किल हो जाएगा. इसलिए केंद्र सरकार को इन विधेयकों को लेकर फिर र्विचार करना चाहिए और किसान हितों को ध्यान में रखते हुए इन कानूनों को वापस लेना चाहिए.

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