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'मेरा अंकु शेर था और शेर की तरह ही चला गया...कहते कहते रुक गई माता की आवाज' - himachal pradesh news

रविवार को घुमारवीं के शहीद अंकेश भारद्वाज का हिन्दू रीति रिवाज व पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. पूरी अंतिम संस्कार क्रिया में अंकेश के माता व पिता (MARTYR ANKESH BHARDWAJ FUNERAL) मौजूद रहे. बता दें कि सबसे भावुक पल वो था जब शहीद अंकेश भारद्वाज की मां समाज के रीति-रिवाजों को तोड़कर श्मशान घाट पहुंची और अपने बेटे को अंतिम विदाई दी. इस दौरान रुआंसी आवाज में शहीद अंकेश भारद्वाज की मां बोलीं कि मेरा अंकु शेर था और आज शेर की तरह ही चला गया. ये कहते कहते माता की आवाज रुक गई.

MARTYR ANKESH BHARDWAJ FUNERAL
MARTYR ANKESH BHARDWAJ FUNERAL

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Published : Feb 13, 2022, 8:57 PM IST

बिलासपुर:रविवार को घुमारवीं के शहीद अंकेश भारद्वाज का हिन्दू रीति रिवाज व पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. पूरी अंतिम संस्कार क्रिया में अंकेश के माता व पिता मौजूद रहे. शहीद के छोटे भाई आकाश भारद्वाज ने मुखाग्नि दी. इस दौरान हर सैकड़ों लोग मौजूद रहे.

बता दें कि सबसे भावुक पल वो था जब शहीद अंकेश भारद्वाज की मां समाज के रीति-रिवाजों को तोड़कर श्मशान घाट पहुंची और अपने बेटे को अंतिम विदाई दी. छोटी सी उम्र में जिस बेटे को अपने हाथों से बड़ा किया. आज उस बेटे को अंतिम बार मां ने देखा. आज उनका बेटा एक अनन्त यात्रा पर चला गया. जहां से कोई लौट कर नहीं आता. जिन हाथों के दुलार से अंकेश बड़ा होकर सेना में भर्ती हुआ था. आज उस मां के हाथ बेटे के सर पर अंतिम बार दुलार कर रहे थे.

'मेरा अंकु शेर था':पिता की तरह माता ने भी अपना फर्ज निभाया (MARTYR ANKESH BHARDWAJ FUNERAL) और पिता की अपने बेटे को दूल्हे की तरह विदा करने की इच्छा के अनुसार समाज के रीति-रिवाजों को तोड़ते हुए मुक्तिधाम में पहुंची. जहां पर बेटे को श्रद्धांजलि देकर उसके अंतिम यात्रा के सारे कार्यों को अपनी आंखों से देखा. रुआंसी आवाज में शहीद अंकेश भारद्वाज की मां बोलीं कि मेरा अंकु शेर था और आज शेर की तरह ही चला गया. यह कहते कहते माता की आवाज रुक गई.

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गांव की अन्य महिलाओं भी शहीद की मां के साथ मुक्ति धाम आई:कहते हैं कि जब इंसान के दिल में कोई आघात लगता है तो फिर समाज के सारे रीति रिवाज उसे नही रोक सकते. मां ने बेटे की अंतिम यात्रा में शामिल होने की बात कही तो पिता बांचा राम ने भी हामी भरी और गांव की अन्य महिलाएं भी शहीद की मां के साथ अन्य महिलाएं भी श्मशानघाट पहुंची और शहीद को श्रद्धांजलि दी.

मां कराना चाहती थी बेटे की शादी:मां की इच्छा थी कि (Ankesh Bhardwaj funeral) बेटा अब कमाने लग गया है. अब घर में बहु को लाना चाहिए. मां बेटे के लिए लड़की देखने ढूंढ रही थी, लेकिन सारी की सारी इच्छाएं धरी की धरी रह गई.

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