बिलासपुर: जाइका परियोजना काहली गांव के किसानों के लिए वरदान सिद्ध हो रही है. 2.65 एरिया में की गई टमाटर की खेती हिमाचल प्रदेश फसल विविधिकरण प्रोत्साहन परियोजना (जाइका) के तहत बिलासपुर जिले के काहली गांव में 57.58 लाख रुपये व्यय करके सिंचाई सुविधाओं को विकसित किया गया, जिसका निर्माण काम वर्ष 2015 में पूरा हुआ.
बता दें कि काहली गांव बिलासपुर शहर से 26 किलोमीटर दूर ब्रह्मपुखर-दयोथ-काहली मार्ग पर स्थित है. जाइका परियोजना के अंतर्गत काहली गांव में 28 परिवारों को सिंचाई की सुविधा से लाभान्वित किया गया. पहले इस क्षेत्र में फसल वर्षा पर ही निर्भर थी और छोटे पैमाने पर सब्जियां उगाई जाती थी.
बारिश पर निर्भर होने के कारण रवी फसल की उत्पादकता बहुत कम थी और 25 से 30 प्रतिशत खेती वाला क्षेत्र बारिश और सिंचाई की कमी के कारण खाली छोड़ दिया जाता था.
जाइका परियोजना ने शुरुआती तौर पर एकत्रित किए गए. आंकड़ों के अनुसार कृषि से प्रति हेक्टेर 46123 रुपये आय होती थी. काहली गांव में जाइका परियोजना का निर्माण काम के पूरा होने पर और 100 घंटे पम्प हाऊस मोटर के सफल परीक्षण के पूरा होने के बाद, परियोजना को कृषक विकास, एसोसिएशन काहली को उसके संचालन और रखरखाव के लिए सौंप दिया गया.
सिंचाई सुविधा सुनिश्चित करने के बाद ब्लॉक परियोजना प्रबंधन इकाई बिलासपुर ने परियोजना में विस्तार गतिविधियां शुरू की. किसानों को सब्जी की खेती करने के लिए प्रेरित किया और गांव स्तर तक प्रशिक्षण, प्रदर्शन और इनपुट सहायता प्रदान की गई.
इसके अलावा खरीफ मौसम में टमाटर और शिमला मिर्च की फसल के लिए क्षेत्र की स्थलाकृति और मिट्टी बहुत उपयुक्त पाई गई. पिछले चार वर्षों के दौरान इन फसलों का क्षेत्र धीरे-धीरे बढ़ा. किसानों ने परियोजना विस्तार कार्यकर्ताओं के साथ काम करते हुए नर्सरी, स्टेकिंग, सिंचाई और फसल सुरक्षा की तकनीकी सीखीं.