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किसानों की आर्थिकी में सुधार ला रही जाइका परियोजना, टमाटर से लाखों रुपये की हो रही कमाई

जाइका परियोजना के अंतर्गत काहली गांव में 28 परिवारों को सिंचाई की सुविधा से लाभान्वित किया गया. पहले इस क्षेत्र में फसल वर्षा पर ही निर्भर थी और छोटे पैमाने पर सब्जियां उगाई जाती थी.

JICA  project Scheme benefits the farmers of Kahli village of Bilaspur
जाइका परियोजना का किसानों को मिला लाभ

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Published : Sep 10, 2020, 8:59 PM IST

बिलासपुर: जाइका परियोजना काहली गांव के किसानों के लिए वरदान सिद्ध हो रही है. 2.65 एरिया में की गई टमाटर की खेती हिमाचल प्रदेश फसल विविधिकरण प्रोत्साहन परियोजना (जाइका) के तहत बिलासपुर जिले के काहली गांव में 57.58 लाख रुपये व्यय करके सिंचाई सुविधाओं को विकसित किया गया, जिसका निर्माण काम वर्ष 2015 में पूरा हुआ.

बता दें कि काहली गांव बिलासपुर शहर से 26 किलोमीटर दूर ब्रह्मपुखर-दयोथ-काहली मार्ग पर स्थित है. जाइका परियोजना के अंतर्गत काहली गांव में 28 परिवारों को सिंचाई की सुविधा से लाभान्वित किया गया. पहले इस क्षेत्र में फसल वर्षा पर ही निर्भर थी और छोटे पैमाने पर सब्जियां उगाई जाती थी.

जाइका परियोजना का किसानों को मिला लाभ.

बारिश पर निर्भर होने के कारण रवी फसल की उत्पादकता बहुत कम थी और 25 से 30 प्रतिशत खेती वाला क्षेत्र बारिश और सिंचाई की कमी के कारण खाली छोड़ दिया जाता था.

जाइका परियोजना ने शुरुआती तौर पर एकत्रित किए गए. आंकड़ों के अनुसार कृषि से प्रति हेक्टेर 46123 रुपये आय होती थी. काहली गांव में जाइका परियोजना का निर्माण काम के पूरा होने पर और 100 घंटे पम्प हाऊस मोटर के सफल परीक्षण के पूरा होने के बाद, परियोजना को कृषक विकास, एसोसिएशन काहली को उसके संचालन और रखरखाव के लिए सौंप दिया गया.

जाइका परियोजना का किसानों को मिला लाभ.

सिंचाई सुविधा सुनिश्चित करने के बाद ब्लॉक परियोजना प्रबंधन इकाई बिलासपुर ने परियोजना में विस्तार गतिविधियां शुरू की. किसानों को सब्जी की खेती करने के लिए प्रेरित किया और गांव स्तर तक प्रशिक्षण, प्रदर्शन और इनपुट सहायता प्रदान की गई.

इसके अलावा खरीफ मौसम में टमाटर और शिमला मिर्च की फसल के लिए क्षेत्र की स्थलाकृति और मिट्टी बहुत उपयुक्त पाई गई. पिछले चार वर्षों के दौरान इन फसलों का क्षेत्र धीरे-धीरे बढ़ा. किसानों ने परियोजना विस्तार कार्यकर्ताओं के साथ काम करते हुए नर्सरी, स्टेकिंग, सिंचाई और फसल सुरक्षा की तकनीकी सीखीं.

पिछले तीन वर्षों के दौरान किसानों ने टमाटर और शिमला मिर्च की बिक्री के लिए दिल्ली से लुधियाना तक के पूरे बिक्री व्यापारियों से संपर्क स्थापित किया. परियोजना में ग्रेडिंग और पैकेजिंग की तकनीक भी प्रदान की गई.

इस दौरान खण्ड परियोजना प्रबंधक डॉ. शशिपाल ने बताया कि कामधेनु एनजीओ ने गांव में एक छोटी दूध संग्रह इकाई भी स्थापित की गई है. जहां गांवों के भीतर और आसपास के गांवों से प्रतिदिन 1500 लीटर दूध एकत्रित किया जा रहा है.

मिल्क चिलिंग प्लांट को दैनिक पानी की आपूर्ति लिफ्ट सिंचाई योजना से पूरी होती है. उच्च कोटि दूध के लिए गर्मियों और सर्दियों के महीनों में सिंचाई ने चारे की फसल उगाने में मदद की और हर घर में नियमित दैनिक आय के लिए स्थानीय चिलिंग कलेक्शन सेंटर में दूध बेचा जा रहा है.

हिमाचल प्रदेश फसल विविधिकरण प्रोत्साहन परियोजना जाइका के हस्तक्षेप और उप परियोजना प्रगतिशील किसानों के उत्साही दृष्टिकोण के साथ उनकी पुरानी कृषि पद्धतियों को बदलकर और खुद को सब्जी की खेती में शामिल करके, उन्हें सब्जियों से लाभकारी लाभ अर्जित करने में मदद मिली.

विभिन्न गतिविधियों और फार्म मशीनरी के तहत सुनिश्चित सिंचाई, व्यावहारिक प्रशिक्षणों ने उन्हें उत्पादकता बढ़ाने में मदद की. आगामी सीजन में सब्जी की व्यावसायिक फसल का रकबा बढ़ने की संभावना है.

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