बिलासपुर/घुमारवीं: चुनावी साल में प्रदेश में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं. विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश के सभी विधानसभा सीटों पर इस साल क्या समीकरण हैं यह बताने का प्रयास कर रहे हैं. हिमाचल सीट स्कैन (himachal seat scan) में आज हम 47वीं विधानसभा सीट घुमारवीं (Ghumarwin assembly seat ground report ) की करने जा रहे हैं. बिलासपुर जिले की सबसे महत्वपूर्ण सीट घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र इन दिनों काफी चर्चा में है. यहां से पहली बार विजेता रहे विधायक राजेंद्र गर्ग को पहली बारी में ही मंत्री का पद भाजपा सरकार में मिल गया.
हालांकि उनको मंत्री पद मिलने पर प्रदेश के काफी बड़े वरिष्ठ नेताओं ने इसका विरोध भी किया, लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP National President JP Nadda) को अपना राजनीतिक गुरु मानने वाले राजेंद्र गर्ग को सरकार में खाद्य आपूर्ति मंत्री का पद पहले चरण में ही मिल गया. ऐसे में शुरुआती दौरे पर मंत्री राजेंद्र गर्ग पूरे प्रदेशभर के दौरों में रहे तो घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र के भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए मंत्री गर्ग से दूरियां बना ली. जी हां, हम बात कर रहे हैं नगर परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष व भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी राकेश चोपड़ा की.
घुमारवीं में राकेश चोपड़ा क्यों हैं नाराज: राकेश चोपड़ा नगर परिषद घुमारवीं के पूर्व उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं. ऐसे में हिमाचल सरकार द्वारा उन्हें हिमुडा का अध्यक्ष बनाए जाने का भी ऑफर दिया गया, लेकिन राकेश चोपड़ा ने इस सभी पदों को स्वीकार नहीं किया. क्योंकि इसका मुख्य कारण यह है कि उन्होंने घुमारवीं में हुए ग्राम पंचायतों के चुनावों ने राकेश चोपड़ा ने सरेआम एक जनसभा में मंत्री गर्ग के खिलाफ बयानबाजी कर डाली और कहा कि मंत्री को आने वाले विधानसभा चुनावों में इसका जवाब दिया जाएगा. राकेश चोपड़ा ने कहा कि वर्तमान में भाजपा सरकार द्वारा उन्हें अनदेखा किया जा रहा है, जिसके कारण वह सरकार के इन पदों को स्वीकार नहीं करेंगे.
घुमारवीं से सबको साथ लेकर चलना भाजपा के लिए मुश्किल: वहीं, दूसरी ओर अब मंत्री राजेंद्र गर्ग के लिए वरिष्ठ पदाधिकारियों राकेश चोपड़ा और उनकी सेना को साथ लेकर चलना मुश्किल हो गया है. ऐसे में कहीं न कहीं इन विधानसभा चुनावों में भाजपा को घुमारवीं से सीट (Ghumarwin Assembly Seat) निकालना थोड़ा मुश्किल हो जाएगा. वहीं, एकजुटता का पाठ पढ़ाने वाली भाजपा को घुमारवीं में सबको साथ लेकर चलना मुश्किल हो सकता है.
पिछले चुनावों में वोटों का समीकरण: बीते विधानसभा चुनावों में घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र (Ghumarwin Assembly Constituency) में मंत्री राजेंद्र गर्ग को कुल 34,846 वोट पड़े. वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस के प्रत्याशी राजेश धर्माणी को 24,411 वोट पड़े. साथ ही आजाद उम्मीदवार सुरेश कुमार को कुल 475 वोट पड़े. इसके अलावा 390 लोगों ने नोटा का इस्तेमाल किया. कुल मिलाकर घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र में 60,395 लोगों ने अपने मत का इस्तेमाल किया.
घुमारवीं सीट पर अब तक इन्हें मिली जीत: साल 1977 में यहां से जनता पार्टी की ओर से नारायण सिंह स्वामी भाजपा के पहले विधायक बने, जिसमें कुल 30,292 लोगों ने मतदान किया और 65.6 प्रतिशत ही मतदान हुआ था, वहीं, दूसरी बार भी नारायण सिंह स्वामी 1982 में फिर से भाजपा के विधायक बने. उसके बाद 1985 में कश्मीर सिंह कांग्रेस से विधायक बने. उस समय 34,857 मतदाताओं ने मतदान किया था और 74.3 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था. उसके बाद कर्मदेव धर्माणी 1990 में भाजपा के विधायक बने. उस समय में 46,318 लोगों ने मतदान किया था. 68 प्रतिशत मतदान किया गया था. उसके बाद 1993 में कश्मीर सिंह कांग्रेस से विधायक बने और वह 1988 भी कश्मीर सिंह ने कांग्रेस से इस सीट पर जीत हासिल की थी. उसके बाद 2003 में कर्मदेव धर्माणी भाजपा से फिर से विधायक चुने गए, उसके बाद 2007 में राजेश धर्माणी कांग्रेस से विधायक चुने गए, साल 2012 के चुनावों में भी राजेश धर्माणी विजेता रहे, वहीं, साल 2017 में भाजपा से राजेंद्र गर्ग इस सीट पर विधायक चुने गए.