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Himachal Seat Scan: क्या एम्स व रंगनाथ मंदिर से बिलासपुर सदर सीट पर मिलेगी BJP को जीत, जानिए जेपी नड्डा के गृह जिले में चुनावी समीकरण

हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 (Himachal Assembly Elections 2022) से पहले ETV भारत प्रदेश के सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों के सूरत-ए-हाल से रू-ब-रू करवा रहा है (himachal seat scan) है. हिमाचल सीट स्कैन में आज हम बात करने जा रहे हैं बिलासपुर सदर विधानसभा क्षेत्र (Bilaspur Sadar assembly seat ground report) की. वैसे तो बिलासपुर सदर विधानसभा क्षेत्र को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों भाजपा की डबल इंजन सरकार ने जिले की जनता को कई सौगातें दी हैं. तो क्या एम्स और रंगनाथ मंदिर भाजपा को जीता पाएंगे या कांग्रेस भाजपा के मिशन रिपीट को मिशन डिलीट करने में कामयाब होगी. आज जानेंगे कि इस साल बिलासपुर सदर विधानसभा क्षेत्र में आखिर चुनावी समीकरण क्या हैं...

Bilaspur Sadar assembly seat ground report
बिलासपुर सदर विधानसभा सीट की ग्राउंड रिपोर्ट

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Published : Jul 29, 2022, 6:21 PM IST

बिलासपुर: हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 (Himachal Assembly Elections 2022) की बिसात बिछने को है. राजनीतिक दल चुनाव को लेकर टिकट से लेकर प्रचार-प्रसार के लिए रणनीति तैयार करने में जोर-शोर से जुटे हैं. चुनावी बेला में यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि आखिर आपके क्षेत्र में अब तक क्या कार्य हुए हैं. और हिमाचल सीट स्कैन में आज हम बिलासपुर जिले की सबसे हॉट सीट मानी जाने वाली बिलासपुर सदर की करने जा रहे हैं. मौजूदा वक्त में कुल 68 विधानसभा क्षेत्रों में ये 48वीं विधानसभा सीट है. आइए जानते हैं बिलासपुर सदर विधानसभा सीट पर इस साल चुनावी समीकरण (Bilaspur Sadar assembly seat ground report) क्या हैं....

वैसे तो बिलासपुर जिला की सबसे हॉट सीट मानी जाने वाली सदर में कांग्रेस का दबदबा रहा है. इस साल भाजपा की सीट सदर क्षेत्र में काफी हावी रही, लेकिन पिछले दो सत्रों के चुनावों की बात करें तो कांग्रेस का ही दबदबा इस सीट पर रहा है. पिछले सत्र भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP National President JP Nadda) ने अपनी साख को बचाने के लिए इस सीट पर दिन रात एक कर दिया, जिससे बीजेपी को इस सीट पर विजयी हासिल हुई.

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा. (फाइल फोटो)

इससे पहले ही बात करें तो पूर्व विधायक बंबर ठाकुर और उससे पहले पूर्व विधायक तिलक राज शर्मा दोनों ही कांग्रेस के नेता रहे हैं. तिलक राज शर्मा अपने कार्यकाल में कोई बड़ा व बेहतर कार्य नहीं कर पाए, लेकिन पूर्व विधायक और दबंग नेताओं की श्रेणी में गिने जाने वाले बंबर ठाकुर पहले चरण में ही जीत कर विधायक के रूप में सदर विधासनसभा क्षेत्र के राजा बनकर सामने आए. हालांकि बंबर ठाकुर की दबंगई उनपर ही भारी पड़ गई, जिसके कारण बंबर ठाकुर को 2018 के चुनावों में बंबर ठाकुर को विधानसभा में हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में अब बारी आई नड्डा के करीबी और वर्तमान में विधायक सुभाष ठाकुर की. स्थानीय जनता का कहना है कि जेपी नड्डा के परिवार ने स्वयं सुभाष ठाकुर को जिताने के लिए दिन-रात एक की है. ऐसे में वर्तमान सदर विधायक सुभाष ठाकुर जनता की उम्मीदों में कितना खरा उतर पाए हैं, यह तो आने वाले चुनावों के परिणामों में साफ हो जाएगा.

वर्तमान बीजेपी विधायक सुभाष ठाकुर और पूर्व कांग्रेस विधायक बंबर ठाकुर.

चुनाव में जीत की तैयारी में बंबर ठाकुर: पूर्व विधायक बंबर ठाकुर भी इस बार चुनावों में विजय हासिल करने के लिए दिन रात एक कर रहे हैं और अभी से ही चुनावी फील्ड में पूरी तरह से उतर आए हैं. हालांकि बिलासपुर में कांग्रेस पूरी तरह से दोफाड़ है. क्योंकि बंबर ठाकुर पूरी जिला कांग्रेस कमेटी से अलग चलते है. कांग्रेस कमेटी के किसी भी कार्यक्रम में वह अपनी भूमिका नहीं निभाते हैं, लेकिन वह अपने स्तर पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को एकत्रित करके अपने चुनावी स्टंट में लगे हुए हैं.

विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ेगी भाजपा:वहीं, दूसरी ओर भाजपा से वर्तमान विधायक सुभाष ठाकुर (Bilaspur Sadar Assembly Constituency MLA Subhash Thakur) का कहना है कि वह विकास के मुद्दों को लेकर वह इस बार के चुनाव लड़ेगी. बिलासपुर में विकास की बात करें तो यहां पर एम्स भाजपा के लिए चुनावों में सबसे बड़ा हथियार बनकर सामने आएगा. क्योंकि कुछ समय बाद ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एम्स का विधिवत रूप से शुभारंभ करेंगे. ऐसे में भाजपा पूरी तरह से एम्स के नाम पर चुनाव लड़ेगी, यह तो तय है.

दूसरी ओर बिलासपुर के रंगनाथ मंदिरों को शिफ्ट करने की कवायद भी शुरू हो गई हैं. केंद्र की ओर से 1400 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट बिलासपुर के लिए स्वीकत हुआ है. ऐसे में इन मंदिरों को शिफ्ट करके बिलासपुर का सांडू मैदान पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की प्लानिंग (Tourist Places in Bilaspur Assembly Constituency) तैयार की जा रही है. इन दोनों करोड़ों रुपये के प्रोजेक्ट को भाजपा अपने चुनावी मैदान में ट्रंप कार्ड के रूप में इस्तेमाल करेगी.

बिलासपुर में आम आदमी पार्टी की कैसी है तैयारी:बिलासपुर सदर विधानसभा क्षेत्र (Bilaspur Sadar Assembly Constituency) में तीसरे विकल्प की करें तो यहां पर आम आदमी पार्टी का अभी तक कोई वर्चस्व नहीं है. सदर से कोई भी आम आदमी पार्टी का कैंडिडेट फाइनल नहीं है और न ही कोई बड़ा चेहरा आप का दामन थामेगा. ऐसे में आप तीसरे विकल्प की बात कर रही है, वह पूरी तरह से बिलासपुर सदर में फेल होता हुआ नजर आ रहा है.

बिलासपुर सदर सीट पर बनते आए हैं भाजपा-कांग्रेस से विधायक:बिलासपुर सदर सीट (Bilaspur Sadar assembly seat ) पर 1967 में कांग्रेस से डॉ. सांख्यान, 1972 में कांग्रेस से किशोरी लाल, 1977 निर्दलीय उम्मीदवार राजा आनंद चंद, 1982 में भाजपा से सदा राम ठाकुर, 1985 में कांग्रेस से बाबू राम गौतम, 1990 में भाजपा से सदा राम ठाकुर, 1993 और 1998 में भाजपा से जेपी नड्डा, 2003 में कांग्रेस से तिलक राज शर्मा, 2007 में भाजपा से जेपी नड्डा, 2012 में कांग्रेस से बंबर ठाकुर रहे हैं. वहीं, 2017 यानी वर्तमान में भाजपा से सुभाष ठाकुर विधायक हैं.

बिलासपुर सदर विधानसभा सीट पर अब तक वोटिंग प्रतिशत: चुनाव की दृष्टि से बिलासपुर सदर सीट हमेशा महत्वपूर्ण रहा है. 1977 के चुनाव को छोड़ दें तो इस सीट पर हमेशा 70 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ है. साल 1977 में निर्दलीय उम्मीदवार आनंद चंद को 26,026 वोट मिले थे और 63 प्रतिशत मतदान हुआ था. साल 1982 में भाजपा के सदा राम ठाकुर 29,704 वोट लेकर विजयी हुए था और 71.2 प्रतिशत मतदान हुआ था. साल 1985 में कांग्रेस के बाबू राम गौतम 32,147 वोट लेकर विजयी हुए थे और 71.4 प्रतिशत मतदान हुआ था. साल 1990 में भाजपा के सदाराम ठाकुर ने 42,288 वोट लेकर जीत हासिल की थी और 71.2 प्रतिशत मतदान हुआ था. साल 1993 में भाजपा से जगत प्रकाश नड्डा ने 46,229 वोट लेकर जीत हासिल की थी और 73.4 प्रतिशत मतदान हुआ था.

बिलासपुर सदर विधानसभा सीट की ग्राउंड रिपोर्ट.

साल 1998 भाजपा से जगत प्रकाश नड्डा 52,333 वोट लेकर विजयी हुए थे और 73.1 प्रतिशत मतदान हुआ था. साल 2003 में कांग्रेस से तिलक राज शर्मा ने 57,958 वोट लेकर जीत हासिल की थी और 77.5 प्रतिशत मतदान हुआ था. साल 2007 में भाजपा से जेपी नड्डा ने 64,468 वोट लेकर जीत हासिल की थी और इस चुनाव में 73.8 प्रतिशत मतदान हुआ था. साल में 2012 कांग्रेस के बंबर ठाकुर 71,367 वोट लेकर विजयी हुए थे और 71.2 प्रतिशत मतदान हुआ था. वहीं, साल 2017 में भाजपा से सुभाष ठाकुर ने 77,244 वोट लेकर जीत हासिल की थी और इस चुनाव में 74.11 प्रतिशत मतदान हुआ था.

बिलासपुर सदर विधानसभा सीट पर चुनावी जंग: जिला निर्वाचन अधिकारी के मुताबिक वर्तमान में सदर विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 82,114 है, जिसमें 41,241 पुरुष और 40,873 महिला मतदाता हैं. 2017 में कुल मतदाताओं की संख्या 76,734 थी, जिनमें 38,544 पुरुष और 38,190 महिला मतदाता थीं. वहीं, 2012 में कुल 70,458 मतदाता थे, जिनमें 35,886 पुरुष और 34,572 महिला मतदाता थीं.

बिलासपुर सदर विधानसभा सीट की ग्राउंड रिपोर्ट

पिछले चुनावों में जीत का समीकरण:जानकारी के अनुसार पिछले बीते चुनावों में भाजपा ने जीत हासिल की है. जिसमें भाजपा के विजयी प्रत्याशी सुभाष ठाकुर को सदर से 31,547 वोट मिले थे और उन्होंने जीत हासिल की थी. वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस से प्रत्याशी पूर्व विधायक बंबर ठाकुर को 24,685 वोट मिले थे. वहीं, निर्दलीय उम्मीदवार अमर सिंह को 292, बसंत राम संधू को 1,300 मत पड़े थे. वहीं, 322 लोगों ने नोटा का इस्तेमाल किया था.

2017 में बिलासपुर सदर विधानसभा सीट पर जीत का अंतर.

क्या है जनता की मांग:बिलासपुर शहर में सबसे ज्यादा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की मांग है. क्योंकि बिलासपुर शहर प्रदेश का एकमात्र ऐसा शहर है, जहां पर सब सुविधा होने के बावजूद भी यहां पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (Bilaspur Sadar Assembly Constituency Issues) नहीं है. यहां का सारा गंदा पानी गोबिंदसागर झील में जाकर मिलता है. लेकिन हैरानी की बात यह है कि अभी तक इसका कोई हल नहीं निकल पाया है. सरकार की ओर से यहां पर फ्रांस की एक विशेष टीम भी दौरा कर गई है, लेकिन उसके बाद भी यहां पर इसका कोई हल नहीं निकाला गया है. वहीं, दूसरी ओर शहर में पार्किंग की सुविधा बहुत कम है. यहां हर बार चुनाव में स्थानीय जनता पार्किंग की समस्या का मुद्दा उठाते आ रहे हैं, लेकिन कोई भी हल नहीं निकलता है.

बिलासपुर सदर विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे.

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वहीं, तीसरा व महत्वपूर्ण मुद्दा जिला अस्पताल बिलासपुर में चिकित्सकों की पर्याप्त व्यवस्था न होना है. जिला अस्पताल हर साल चुनावी मुद्दा बनकर सामने आता है, लेकिन यहां पर चिकित्सकों की पर्याप्त सुविधा न होने के चलते स्थानीय जनता परेशान हैं. वहीं, जिला अस्पताल के कांग्रेस पार्टी वर्तमान में रेफरल अस्पताल का नाम भी दे चुकी है, क्योंकि यहां पर अधिकतर मरीजों को शिमला व चंडीगढ़ रेफर किया जाता है. यहां पर चिकित्सकों की कमी चुनावों में एक बार फिर से गंभीर मुद्दा बन सकती है.

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