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चेन्नई के विशेषज्ञ बिलासपुर में बंदरों की करेंगे गणना, वाइल्ड लाइफ ने भेजी रिपोर्ट - बिलासपुर वाइल्ड लाइफ

चेन्नई के विशेषज्ञ बिलासपुर में बंदरों की गणना करेंगे. दो माह पहले बिलासपुर जिला में हुए सर्वे के दौरान वन विभाग ने इसकी एस्टीमेट की रिपोर्ट वाइल्ड लाइफ को भेजी थी लेकिन इस एस्टीमेट की पूरी गणना नहीं हो पाई थी. ऐसे में अब बंदरों की गणना करने के लिए चेन्नई के विशेषज्ञों को रिपोर्ट भेजी गई है.

Experts of Chennai will count monkeys in Bilaspur
चेन्नई के विशेषज्ञ बिलासपुर में बंदरों की करेंगे गणना

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Published : Feb 1, 2020, 10:23 AM IST

Updated : Feb 1, 2020, 11:59 AM IST

बिलासपुरः वाइल्ड लाइफ के बाद अब चेन्नई के विशेषज्ञ बिलासपुर में बंदरों की गणना करेंगे. दो माह पहले बिलासपुर जिला में हुए सर्वे के दौरान वन विभाग ने इसकी एस्टीमेट की रिपोर्ट वाइल्ड लाइफ को भेजी थी लेकिन इस एस्टीमेट की पूरी गणना नहीं हो पाई थी. ऐसे में अब बंदरों की गणना करने के लिए चेन्नई के विशेषज्ञों को रिपोर्ट भेजी गई है.

बिलासपुर में 2 माह पहले हुए इस सर्वे के लिए वन कर्मियों ने लोकस ऐप का सहारा लिया. इस ऐप के माध्यम से वनकर्मियों ने बीट में जाकर सारा निरीक्षण किया. वन अरण्यपाल आरएस पटियाल ने बताया कि अब इसकी विस्तृत रिपोर्ट चेन्नई के विशेषज्ञों द्वारा दी जाएगी. बिलासपुर के जंगलों की ग्रीन फैलिंग रिपोर्ट को पूरा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार टीम गठित की गई है. टीम अब अप्रैल से पहले सप्ताह में दोबारा विजिट करेगी.

उन्होंने बताया कि इससे पहले नवंबर माह में टीम भराड़ी रेंज के चार जंगलों का निरीक्षण कर चुकी है. हालांकि कुछ खामियों के चलते निहारी जंगल की रिपोर्ट अधूरी रह गई थी जिसे अब पूरा किया गया है.
चीफ कंजरवेटर ने बताया कि पूर्ण विकसित हो चुके पेड़ जिनकी वृद्धि नहीं हो पा रही है. इस तरह के पेड़ों की रिपोर्ट तैयार करने के लिए टीम गठित की गई है. इससे पहले दो बार या टीम विजिट कर ग्रीन फैलिंग की रिपोर्ट तैयार कर चुकी है. अब तीसरी बार यह रिपोर्ट तैयार की जा रही है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की गई है टीम हर 6 महीने में जंगलों की रिपोर्ट तैयार करने आती है.

वीडियो रिपोर्ट

आरएस पटियाल ने बताया कि जंगलों का सही प्रबंधन नहीं होने के चलते कई सारी मुश्किलें खड़ी हो जाती है. जंगल का प्रबंधन ना होने के कारण पेड़ों में काफी संघनता रही है. उनका कहना है कि ओवर मेच्योर और कमजोर हो चुके पेड़ों को काटना जरूरी है. ऐसा नहीं करने पर पेड़ों की ग्रोथ का समान वितरण नहीं होगा.

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Last Updated : Feb 1, 2020, 11:59 AM IST

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