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शारदीय नवरात्र: हिमाचल के इस मंदिर में आने से ठीक होती है आंखों की रोशनी! श्रद्धालु चढ़ाते हैं सोने के नेत्र - Naina Devi Temple of Bilaspur

श्री नैना देवी मंदिर में माताजी के दो चमत्कार आज भी विद्यमान हैं जिनमें पहला माताजी का चमत्कार प्राचीन हवन कुंड है. कहते हैं कि यह हवन कुंड दुनिया का पहला हवन कुंड हैं जो ज्वलंत हैं जिसमें सब कुछ बीच में ही समा जाता है शेष निकालने की जरूरत नहीं पड़ती जितना मर्जी हवन करते जाओ शेष बीच में ही समा जाता है.

Devotees offer gold eyes in Naina Devi Shaktipeeth of himachal pradesh
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Published : Oct 6, 2021, 6:14 PM IST

बिलासपुर: हिमाचल प्रदेश का विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी समुद्र तल से लगभग 5000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. ऊंची पहाड़ियों पर बसा मां का यह मंदिर बड़ा ही अलौकिक और रमणीक है. कहते हैं कि माता सती के नेत्र यहां गिरे थे, इसी लिए इस मंदिर का नाम माता श्री नैना देवी मंदिर पड़ा. हालांकि, इस मंदिर में श्रद्धालु अपनी आंखों की रोशनी को ठीक करने के लिए आंखों की सलामती के लिए माता के दरबार में चांदी और सोने के नेत्र चढ़ाते हैं. कहते हैं कि मां नैना देवी श्रद्धालुओं की आंखों की रोशनी ठीक कर देती है.

पौराणिक कथाओं के मुताबिक जब माता सती ने हठ करके अपने पिता दक्ष प्रजापति की महायज्ञ में गई और वहां पर शिव भगवान का अपमान देखकर माता सती अग्नि कुंड में कूद गई और जब भगवान शिव को इसका पता चला तो शिव भगवान बहुत क्रोधित हुए और वहां पहुंचकर माता सती के अर्ध जले शरीर को त्रिशूल पर उठाकर पूरे ब्रह्मांड का भ्रमण करने लगे और विष्णु भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र के द्वारा माता के अंगों को छिन्न-भिन्न कर दिया और जहां-जहां भी माता सती के अंग गिरे वहां-वहां पर शक्ति पीठों की स्थापना हुई माता श्री नैना देवी के मंदिर में माता सती के नेत्र गिरे इसलिए इस मंदिर का नाम मां नैना देवी पड़ा.

हालांकि, एक प्राचीन मान्यता और भी है कि जब माता श्री नैना देवी ने महिषासुर का वध किया था तो उस समय देवताओं ने खुश होकर 'जय मां नयने महिषासुर मर्धनि' उद्घोष किया था इस वजह से भी देवी मां का नाम मां नैना देवी पड़ा. माता नैना देवी के दरबार में वर्ष भर लाखों की संख्या में श्रद्धालु एवं तक पहुंचते हैं माता जी के मंदिर के बजट की बात करें तो मंदिर का बजट लगभग 86 करोड़ रुपए का है.

लाखों श्रद्धालु यहां माताजी के मंदिर में पहुंचते हैं मां के दीदार करते हैं. इस मंदिर में माता के दो चमत्कार आज भी विद्यमान है, जिनमें पहला माता का चमत्कार प्राचीन हवन कुंड है. कहते हैं कि यह हवन कुंड दुनिया का पहला हवन कुंड हैं जो ज्वलंत हैं. जिसमें सब कुछ बीच में ही समा जाता है शेष निकालने की जरूरत नहीं पड़ती, जितना मर्जी हवन करते जाओ शेष बीच में ही समा जाता है.

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इसके अलावा माता की ज्योति यहां पर आती है माता ज्वाला देवी माता नैना देवी से मिलने के लिए पहुंचती है. उस समय तेज बरसात तेज हवाएं और बिजली चली जाती है. तब माता के त्रिशूल पर और पीपल के पेड़ के ऊपर श्रद्धालुओं को माता की ज्योति नजर आती हैं. यहां तक कि श्रद्धालुओं के हाथों पर ज्योतियों के दर्शन होते हैं. यह नैना देवी माता के दो चमत्कार आज भी इस मंदिर में विद्यमान हैं. हालांकि माता जी का यह मंदिर ऊंची पहाड़ी पर विद्यमान है. श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आस्था का केंद्र है. इस धार्मिक स्थल को हिंदू और सिख भाईचारे का प्रतीक भी कहा जाता है, श्रद्धालुओं की भारी संख्या में माता जी के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.

कहते हैं कि नवरात्र के दौरान माता की पूजा का विशेष महत्व है और माता का पूजन और हवन यज्ञ कन्या पूजन और जो नवरात्र व्रत करते हैं. उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. हिमाचल प्रदेश सरकार के द्वारा जिला प्रशासन के द्वारा मंदिर न्यास के द्वारा इन नवरात्रों में सर्दी है. नवरात्रों में श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए पुख्ता बंदोबस्त किए गए हैं. नैनादेवी मंदिर पहुंचने के लिए सबसे पास का एयरपोर्ट चंडीगढ़ है, यहां से मंदिर की दूरी करीब 100 किमी है. सबसे पास का रेलवे स्टेशन आनंदपुर साहिब है. यहां से मंदिर की दूरी 30 किमी है. यह मंदिर नेशनल हाई-वे 21 से जुड़ा है. चंडीगढ़ या आनंदपुर साहिब से आप टैक्सी भी हायर कर सकते हैं.

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