बिलासपुर:घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र में आज भी ऐसे गांव हैं जो सड़क सुविधा से महरूम हैं. सड़क जैसी मूलभूत समस्या का हल न हो पाना सरकार के उन दावों की पोल खोल रहा है, जिसमें सरकार गांव-गांव को सड़क से जोड़ने की बात करती है. अगर इन गांव तक जैसे-तैसे सड़क पहुंच भी जाए तो सरकार और विभाग की लेटलतीफी के चलते सड़क पक्की नहीं हो पाती है.
घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र के विधायक राजेंद्र गर्ग का प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने के बाद लोगों में उम्मीद जगी थी कि पहली मर्तबा घुमारवीं से मंत्री बना है तो अब पिछले कई वर्षों की समसयाओं का निदान हो जाएगा. लेकिन घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाली ग्राम पंचायत दधोल के जसवानी व छंदोह गांव के लोगों को आज तक पक्की सड़क की (Demand for road facility in Jaswani) सुविधा नहीं मिल पाई है. कई वर्षों से ग्रामीण सड़क को पक्का करवाने की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन यह सड़क पक्की नहीं हो पाई है.
ग्रामीणों का कहना है कि (Lack of road facility in Ghumarwin) अगर गांव में कोई व्यक्ति बीमार हो जाए तो उसे पालकी में उठाकर तीन किलोमीटर दूर निहारी पहुंचाना पड़ता है. करीब 16 वर्ष पहले मनरेगा के तहत दो गांव के करीब दो सौ परिवारों के लिए कच्ची सड़क का निर्माण किया गया था. लेकिन 16 वर्ष बीत जाने के बाद भी इस सड़क को पक्का नहीं किया गया है. गांव के स्थानीय युवाओं ने बताया कि इस बरसात में वह कई बार इस सड़क (Demand for road facility in Jaswani) की मरम्मत कर चुके हैं, क्योंकि बरसात के दिनों में इस सड़क पर पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है.
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें अपने निजी वाहन, राष्ट्रीय उचमार्ग 103 पर सड़क किनारे खड़े करने पड़ते हैं. जिससे वाहन चोरी होने का भी डर बना रहता है. ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के समय नेता सड़क पक्की करने की बात कह जाते हैं, लेकिन फिर इस तरफ कोई भी नेता ध्यान नहीं देता है. युवाओं ने तो यहां तक कह दिया है कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो सभी ग्रामीण आगामी विधानसभा चुनावों को बहिष्कार करेंगे.
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