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बिलासपुर में ईद-उल-अजहा पर्व की तैयारियां जोरों पर, एक लाख रुपये में बिके 'नवाब व अब्दुल'

बिलासपुर में ईद-उल-अजहा की तैयारियां जोरो शोरों से चल रही है. बुधवार को मुस्लिम समुदाय के लोग पर्व को मनाएंगे. वहीं, बिलासपुर शहर में दो बकरे नवाब और अब्दुल 1 लाख 25 रुपये में बिके हैं. दोनों बकरों का वजन करीब 117 किलो बताया जा रहा है.

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Published : Jul 20, 2021, 4:31 PM IST

बिलासपुर:ईद का पर्व हो और बकरों की डिमांड न हो, ऐसा कभी हो सकता है. जी हां, कल यानि 21 जुलाई को देशभर में मनाई जाने वाली ईद-उल-अजहा (बकरीद) को लेकर बिलासपुर जिला में भी तैयारियां जोरो शोरों पर चली हुई है. लोग बकरों की खरीदारी के लिए बाजारों में पहुंच रहे हैं. वहीं, शहर के डियारा सेक्टर के निवासी आरिफ खान ने दो बकरे नवाब और अब्दुल को एक लाख 25 हजार रुपये में बेचा है. बकरे बिटल नस्ल के बताए जा रहे हैं और उनकी उम्र 17 माह बताई जा रही है.

मालिक आरिफ खान ने बताया कि यह नस्ल उन्होंने 17 माह पहले खरीदी थी, जिसके बाद उनके बेटे आयान बकरों का नाम नवाब व अब्दुल रखा. दोनों बकरों को रोजाना काजू, बदाम, राजस्थानी हरी पत्ती, चने के छिलके और सुबह शाम एक-एक लीटर दूध देते थे. बताया जा रहा है दोनों बकरों का वजन करीब 117 किलो है. इस बकरे को रौड़ा सेक्टर के निवासी हारून खान ने खरीदा है.

कोरोना के कारण जहां कामधंधे मंदे हैं, जिसका असर शहर के बकरा बाजार पर भी दिखने को मिल रहा है. लोग बाजार में दिख जरूर रहे हैं, लेकिन ज्यादातर लोग बस दाम पूछकर ही लौट जा रहे हैं. कारोबारियों का कहना है कि उनको माल पीछे से ही महंगा मिला है. ऐसे में वह लोगों को बकरे के दाम ज्यादा बताते हैं तो लोग बिना खरीदारी के ही लौट रहे हैं. कोरोना के कारण लोगों की खरीदारी करने की क्षमता प्रभावित हुई है. ऐसे में लोग बकरा नहीं खरीद पा रहे हैं.

आपको बता दें कि ईद-उल-अजहा यानी बकरीद इस्लाम धर्म को मानने वाले लोगों के प्रमुख त्योहारों में से एक है. यह इस्लामिक कैलेंडर के 12वें महीने की 10 तारीख को मनाया जाता है. इस्लामिक मान्यता के अनुसार हजरत इब्राहिम अपने पुत्र हजरत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा की राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उनके पुत्र को जीवनदान दिया था. तब से मुस्लिम समुदाय इस त्योहार को मनाता है. इस दिन मुसलमान विशेष नमाज अदा कर बकरे या भेड़ की कुर्बानी करते हैं.

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