बिलासपुर:बिलासपुर के आराध्य देव बाबा नाहर सिंह के सिंहासन को लगभग 15 सालों बाद बदला गया है. महाराष्ट्र के कोलापुर क्षेत्र के कारिगरों ने बाबा नाहर सिंह का सिंहासन तैयार किया है. जिसे पूरी तरह से चांदी की आधुनिक कढ़ाई से पिरोया गया है. इसे बाबा नाहर सिंह मंदिर कमेटी की ओर से बनाया गया है. जिसको बनाने में लगभग तीन माह लगे हैं और इसको 16 लाख रूपये की लागत से (Baba Nahar Singh Temple Bilaspur) तैयार करवाया गया है. बिलासपुर शहर के इतिहास में पहली बार ऐसा है कि किसी आराध्य देव के सिंहासन को देश के नामी कारिगरों से तैयार करवाया गया हो. वहीं, इस सिंहासन का वजन 16 किलो के करीब बताया जा रहा है. जानकारी के अनुसार इससे पहले सिंहासन को 2007 में बदला गया था. अभी तक 1950 से बने इस मंदिर में तीन बार सिंहासन को बदला गया है.
बाबा नाहर सिंह मंदिर का इतिहास: गौरतलब है कि जिला मुख्यालय बिलासपुर में धौलरा की पहाड़ियों पर बाबा नाहर सिंह का खूबसूरत मंदिर है. प्रतापी राजा दीपचंद ने ही बाबा नाहर सिंह का मंदिर धौलरा में अपने महल के समीप बनवाया था. यहां हर रोज सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं. कहा जाता है कि बाबा नाहर सिंह कहलूर रियासत के प्रतापी राजा दीपचंद की रानी कुमकुम देवी के साथ कुल्लू से बिलासपुर आए थे. राजा दीपचंद ने 1653 से 1665 तक कहलूर रियासत का राजकाज संभाला था. राजा दीपचंद जब कुल्लू में कुमकुम राजकुमारी को विवाह कर लाने गए थे तो विदाई के समय राजकुमारी की डोली एकाएक भारी हो गई और कहार डोली को नहीं उठा पाए. जोर आजमाइश के बाद भी डोली अपनी जगह से हिली तक नहीं.