बिलासपुर: कोरोना महामारी के चलते प्रदेश के शक्तिपीठों सहित सभी मंदिरों के कपाट बंद हैं. ऐसे में सावन महीने में सिर्फ पुजारी ही मंदिरों में विधिवत पूजा-अर्चना कर रहे हैं. सावन के तीसरे सोमवार को बिलासपुर के पौराणिक लक्ष्मी नारायण मंदिर में रूद्राभिषेक कर विधिवत पूजा-अर्चना की गई.
कोरोना संक्रमण के चलते पौराणिक लक्ष्मी नारायण मंदिर के कपाट बंद रहे, लेकिन पूजा अर्चना इस वर्ष भी वैसी ही की गई. मंदिर पुजारी बाबू राम पंडित ने रूद्राभिषेक करते हुए मंत्र उच्चारण किया, जिससे मंदिर परिसर मंत्रमुग्ध हो गया. इस दौरान मंदिर में सिर्फ पुजारी वर्ग ही मौजूद था.
ऐसे होता है रूद्राभिषेक
मंदिर पुजारी बाबू राम पंडित ने बताया कि सबसे पहले शिवलिंग का दूध से अभिषेक किया जाता है. मान्यता है कि इससे दीर्घ आयु प्राप्त होती है. इसके बाद शहद अभिषेक किया जाता है, शिवलिंग का शहद से अभिषेक करने पर जीवन में सुख और स्मृद्धि आने की मान्यता है.
शिवलिंग का घी से अभिषेक करने से किसी प्रकार का शारीरिक रोग न होने की मान्यता है. वहीं, दही अभिषेक से साधक को संतान सुख प्राप्ति होती है. इसके अलावा दूध, दही, मिश्री, घी और शहद के मिश्रण से तैयार पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक करना सावन महीने में बड़ा ही फलदायी माना जाता है. इससे धन-संपदा की प्राप्ति होती है.
बता दें कि सावन महीने में तीसरे सोमवार का विशेष महत्व होता है. सावन के तीसरे सोमवार के मौके पर सोमवती अमावस्या भी है, जिससे इस सावन सोमवार का महत्व और भी बढ़ गया है. सावन सोमवार के दिन शिव मंदिरों में काफी भीड़ नजर आती है, लेकिन इस वर्ष कोरोना संकटकाल के कारण ज्यादातर मंदिरों में बहुत ही कम लोगों ने जलाभिषेक किया.
हालांकि इस दौरान लोग अपने-अपने घरों में रहकर विधिवत रूप से सावन सोमवार पर भोलेनाथ की पूजा-आराधना जरूर कर रहे हैं. मान्यता है सावन के महीने में शिव आराधना करने से हर मनोकामना पूरी होती है.