भोरंज/हमीरपुर: आज पूरा देश कारगिल के वीरों की वीरगाथा गा रहा है. देश और प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में 26 जुलाई 1999 का वो दिन याद किया जा रहा है, जब भारत ने कारगिल में ऑपरेशन विजय को सफलतापूर्वक अंजाम देकर पाकिस्तानी घुसपैठियों को धूल चटाई थी. जिला हमीरपुर के भोरंज उपमंडल के तहत आने वाले जोल में कारगिल युद्ध के वीरों को नमन किया गया. शहीद हुए 527 सैनिकों को श्रद्धांजलि दी गई.
भोरंज उपमंडल के बूथ नंबर 68 धमरोल-3 जोल में बूथ अध्यक्ष कुलदीप कुमार ने बताया कि 26 जुलाई 1999 के दिन भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध के दौरान चलाए गए ऑपरेशन विजय को सफलतापूर्वक अंजाम देकर भारत भूमि को घुसपैठियों के चंगुल से मुक्त कराया था. इसी की याद में 26 जुलाई को हर वर्ष करगिल दिवस मनाया जाता है.
विक्रम बत्रा की शहादत को किया याद
इस मौके पर कैप्टन विक्रम बत्रा की शहादत की पूरी कहानी भी सुनाई गई, जिनकी वीरता पर पूरा हिमाचल गर्व करता है. कुलदीप कुमार ने कहा कि करगिल महज दो देशों के बीच युद्ध की कहानी नहीं थी. यह सफेद बर्फ को अपने लहू से लाल कर देने वाले हिंदुस्तानी फौज की शौर्य, बलिदान और समर्पण की कहानी है. ये एक ऐसी कहानी है, जिसे जानकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं और भारत मां के उन सच्चे वीर सपूतों को दिल बार-बार सलाम करने को कहता है. विपरित परिस्थियों में भारतीय सैनिकों ने हिम्मत नहीं हारी और पाकिस्तान सेना को खदेड़कर मां भारती के ललाट पर विजय का रक्त चंदन लगाया.
युद्ध में दो लाख वीरों ने लिया था हिस्सा
1999 में हुआ कारगिल युद्ध लगभग 60 दिनों तक चला. 26 जुलाई को भारत की ऐतिहासिक जीत के साथ युद्ध का अंत हुआ. युद्ध में करीब दो लाख वीर सैनिकों ने हिस्सा लिया था, जिनमें से 527 सैनिकों को वीरगति प्राप्त हुई थी. सैनिकों के सम्मान में हर साल 26 जुलाई का दिन कारगिल दिवस के रूप में मनाया जाता है. हर साल 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन इस बार लेह स्थित 14वीं कोर पूरी तरह से चीन सीमा पर तैनात है, जिसके चलते द्रास-करगिल में कोई खास कार्यक्रम आयोजित नहीं किए गए.
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