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Surajkund Mela 2022: लोगों को पसंद आ रही जम्मू-कश्मीर की पश्मीना शॉल, इस जानवर के ऊन से होती है तैयार

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Published : Mar 29, 2022, 4:40 PM IST

Updated : Feb 3, 2023, 8:21 PM IST

फरीदाबाद: जिले में लगे 35वें सूरजकुंड मेले का पर्यटक जमकर लुत्फ उठा रहे है. इस बार अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प (Surajkund International Crafts Mela 2022) मेले का थीम स्टेट जम्मू कश्मीर को रखा गया है. ऐसे में कश्मीर के श्रीनगर से पश्मीना शॉल (Pashmina shawls in Surajkund Mela) लेकर पहुंचे हस्तशिल्पकार को भी लोग बेहद पसंद कर रहे हैं. कश्मीर की खूबसूरत वादियों से पश्मीना काणी शॉल को बनाने की कला के साथ आए हैं. श्रीनगर से आए हस्तशिल्प कार मुदस्सिर भट्ट ने बताया कि उनके पास 5 हजार से लेकर करीब तीन लाख रुपये तक की पश्मीना शॉल व दुपट्टा मौजूद है. लोगों को सामान भी पसंद आ रहा है, लेकिन कहीं ना कहीं गर्मी में वजह से लोग खरीदना नहीं चाह रहे, जबकि सर्दियों में उनकी अच्छी खरीदारी हो जाती है. मुदस्सिर भट्ट ने बताया कि शॉल की बुनाई इतनी बारीक होती है कि उसे बुनने में छह महीने का समय लगता है. इसकी बुनाई पूरी तरह हाथों से होती है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी इस शाल भारी मांग है. उन्होंने बताया कि पश्मीना शॉल का मटेरियल लद्दाख से आता है, क्योंकि इसके लिए बेहद कम तापमान की जरूरत होती है. ऐसे में लद्दाख में ही माइनस 13 डिग्री सेल्सियस पर यह पश्मीना तैयार की जाती है. यह शाल लद्दाख की माइनस 20 से 40 डिग्री में पाए जाने वाले नूरी जानवर के ऊन से बनाई जाती है. बाजार में कई लोग सामान्य शॉल को भी पश्मीना बनाकर बेच रहे हैं. इसके लिए जम्मू कश्मीर सरकार ने ज्योग्राफिकल इंडिकेशन मार्क जारी किया है. यह मार्क जिस शॉल पर होता है, वह असली पश्मीना काणी शाल मानी जाती है.
Last Updated : Feb 3, 2023, 8:21 PM IST

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