यमुनानगर: लॉकडाउन के चलते नॉर्थ इंडिया का सबसे बड़ा मशरूम प्लांट बंद होने की कगार पर है. लॉकडाउन की वजह से मशरूम की सप्लाई नहीं हो रही. जिसकी वजह से ये संकट खड़ा हुआ है.
यमुनानगर में नॉर्थ इंडिया का सबसे बड़ा मशरूम प्लांट स्थित है. यहां से देश के लगभग हर राज्यों में मशरूम का निर्यात होता है. अब लॉकडाउन की वजह से 80 से 90 रुपये किलो बिकने वाली मशरूम अब कौड़ियों के भाव बिक रही है. लाखों रुपये की मशरूम तो प्लांट में रखे-रखे खराब हो रही है. खराब हुई मशरूम को जेसीबी की मदद से गड्डे में दबाया जा रहा है. ऐसे में मशरूम प्लांट संचालक सरकार से राहत की मांग कर रहे हैं.
उत्तर भारत का सबसे बड़ा मशरूम प्लांट बंद होने के कगार पर, क्लिक कर देखें वीडियो लॉकडाउन से लाखों का नुकसान
नॉर्थ इंडिया के सबसे बड़े स्नो फार्म फ्रेश मशरूम प्लांट के संचालक संजय शर्मा ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि कोविड-19 के संकट में वो पूरी तरह से सरकार के साथ हैं, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में उन्हें भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है. संजय शर्मा ने कहा कि प्लांट में रोजाना 5 टन मशरूम का उत्पादन होता है. इसके अलावा मशरूम का बीज भी तैयार करने के लिए कंपोस्ट खाद भी यहीं पर तैयार होती है.
रोजी-रोटी पर भी संकट
मशरूम प्लांट दर्जनों परिवारों की रोजी का जरिया भी है, लेकिन करोना वायरस ने सब कुछ बर्बाद कर दिया है. उन्होंने बताया कि उनका माल उड़ीसा, यूपी, वेस्ट बंगाल, गोरखपुर से नेपाल उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के अलावा कई और प्रदेशों में जाता है. अब सप्लाई बंद होने की वजह से उनको करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है. मशरूम को रोककर भी नहीं रखा जा सकता, क्योंकि ज्यादा दिन रखने पर ये खराब होने लगती है जिससे बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है.
खराब मशरूम को जेसीबी की मदद से गड्ढा खोदकर दबाते कर्मचारी संजय शर्मा ने कहा कि उन्हें रोजाना लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है. मजबूरन कई टन मशरूम जमीन में दबानी पड़ रही है. संजय शर्मा ने ईटीवी भारत हरियाणा के जरिए सरकार से मांग की है कि उन्हें थोड़ी राहत दी जाए. इसके लिए उन्हों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उद्यान विभाग को पत्र भी लिखा है.
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मशरूम का कारोबार करने वाले शिवम ने कहा कि सब सरकार के ऊपर है कि वो हमारी कितनी मदद करती है और हालात ये हैं कि हमें मशरूम को गड्ढा खोदकर उसमें दफनाना पड़ रहा है. अगर हम बाहर फ्री में बांटते हैं तो सोशल डिस्टेंस मेंटेन नहीं रहता. जो मशरूम 80 से ₹90 किलों बिकते थे अब उसका मंडी में ₹1 बिल मंडी से बन कर आ रहा है. उसके बाद भी मंडी में ये कहा जाता है कि मशरूम भेज दो अगर बिक जाए तो आपको पेमेंट भी जाएगी, वरना नहीं मिलेगी.