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यमुनानगर का मोक्ष स्थल कपाल मोचन, यहां स्नान करने से भगवान शिव ब्रह्म दोष से हुए थे मुक्त

यमुनानगर में पवित्र धार्मिक स्थल कपाल मोचन है. कार्तिक पूर्णिमा पर 5 दिन का मेला लगता है. इस जगह स्नान करने से लोगों को पाप से मुक्ति मिलती है. महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास की कर्मभूमि को बिलासपुर कहते हैं.

yamunanagar mokshsthal kapal mochan
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Published : Jan 25, 2020, 7:05 AM IST

यमुनानगर: इतिहास के पन्नों में ऐसी बहुत सी अनसुनी कहानियां और किस्से हैं, जिनके बारे में आपने शायद ही सुना होगा. ऐसी ही एक कहानी शुरू होती है यमुनानगर के बिलासपुर कस्बे से. जहां धार्मिक स्थल कपाल मोचन है. कपाल मोचन भारत के पवित्र स्थलों में से एक है.

पवित्र धार्मिक स्थल कपाल मोचन

मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन कपाल मोचन स्थित सरोवर में स्नान करने से भगवान शिव, ब्रह्म दोष से मुक्त हुए थे. इसी वजह से हर साल यहां कार्तिक पूर्णिमा पर 5 दिन का मेला लगता है. जिसमें लाखों लोग पाप मुक्ति के लिए सरोवर में स्नान करते हैं. यहां कपाल मोचन, ऋण मोचन और सूर्य कुंड तीन सरोवर स्थित हैं.

मोक्ष स्थल कपाल मोचन, यहां स्नान करने से भगवान शिव, ब्रह्म दोष से हुए थे मुक्त

सरोवर में स्नान से होते हैं पाप दूर

धार्मिक स्थल कपाल मोचन यमुनानगर जिले से लगभग 28 किलोमीटर दूर है. पुराणों के अनुसार कपाल मोचन तीर्थ तीन लोक में पाप से मुक्ति दिलाने वाला धाम है. इसके सरोवरों में स्नान करने से ब्रह्म हत्या जैसे पाप का निवारण होता है.

महर्षि वेदव्यास की कर्मभूमि है बिलासपुर

धर्म ग्रंथों के अनुसार महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास की कर्मभूमि बिलासपुर रही है. उन्होंने यहां वेद पुराणों की रचना की. उन्हीं के विश्राम स्थल का नाम व्यास आश्रम पड़ा जो वक्त के साथ बिलासपुर में परिवर्तित हो गया.

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शिव ने काटा ब्रह्मा का सिर

कहावत ये भी है कि जब भगवान शिव ने ब्रह्मा का सिर काटा था तब ब्रह्मा का सिर बिलासपुर में गिरा था. जिसके बाद इस जगह का नाम कपाल मोचन हुआ. कहा ये भी जाता है कि एक गाय और उसके बछड़े ने अत्याचारी ब्राह्मण की हत्या की थी. जिसके बाद दोनों ने तालाब में स्नान किया और दोषमुक्त हो गए. कपाल मोचन तीर्थ के मुख्य सरोवर पर गाय और बछड़े की मूर्ती भी लगी हुई है.

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