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हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़ने के बाद कई इलाकों में बाढ़, सैकड़ों एकड़ फसल डूबी - हथिनीकुंड बैराज यमुनानगर

लगातार हो रही बरसात के कारण यमुना का जलस्तर बढ़ (Yamuna water level rises) गया है. कई इलाके में यमुना ने तांडव मचाना शुरू कर दिया है. यमुना के उफान पर होने से कई गांवों के खेतों में पानी भर गया है. जिसके कारण फसलों को भारी नुकसान हो रहा है.

water logging in yamunanagar
यमुनानगर में जलभराव

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Published : Sep 26, 2022, 7:19 PM IST

यमुनानगरःहरियाणा और पहाड़ों में हो रही बरसात (Rain in Haryana) के कारण यमुना नदी का जल स्तर बढ़ रहा है. यमुना में हथिनीकुंड बैराज से भी पानी छोड़ा गया है जिसके कारण जिले के कई गांव में बाढ़ (water logging in yamunanagar) आ गई है. यमुना के पानी के कारण दर्जनों गांव के खेत जलमग्न हो चुके हैं. जिससे फसलों में भारी नुकसान हो रहा है.

कैत मंडी गांव के स्कूल से लेकर लापरा गांव की तरफ जाने वाला रास्ता भी पूरी तरह से जलमग्न हो चुका है. अब ग्रामीणों को गांव में पानी घुसने का डर सता रहा है. यमुना नदी में साल 2022 का सबसे ज्यादा पानी सोमवार को रिकॉर्ड किया गया. जिसके कारण यमुना नदी के साथ लगते निचले इलाकों में नदी उफान मचा रही है. सुबह 5 बजे यमुना नदी में हथिनीकुंड बैराज पर 2 लाख 97 हजार क्यूसेक (water rise in Hathnikund barrage yamunanagar) पानी दर्ज किया गया था.

यमुनानगर में जलभराव

बैराज में पानी बढ़ने से यमुनानगर के लापरा, कैत मंडी, साबापुर के साथ-साथ कलानौर के दर्जनों गांव के खेतों में यमुना नदी के पानी ने दस्तक देनी शुरू कर दी है. कैत मंडी गांव स्कूल में भी लबालब पानी भरा हुआ है. कैत मंडी से लापरा की तरफ जाने वाली सड़क पर पानी आ चुका है. जिसके कारण सड़कें जलमग्न हो चुकी हैं. ग्रामीणों का कहना है कि पहले तो किसानों की फसलों को अज्ञात बीमारी की मार झेलनी पड़ी थी.

अब बरसात ने फसलों को काफी नुकसान (crop damage in Yamunanagar) पहुंचाया है. यमुना के पानी में खेत पूरी तरह डूब चुके हैं और फसलें पूरी तरह खराब हो चुकी हैं. ग्रामीणों ने बताया कि नदी के पानी में जानवर भी बहकर आ रहे हैं. उन्होंने जलभराव के कारण खराब हुई फसलों के मुआवजे की मांग सरकार से की है. यमुना नदी में जब 70 हजार क्यूसेक पानी आ जाता है तो उसके बाद मिनी फ्लड घोषित कर दिया जाता है.

जब 2 लाख 50 हजार क्यूसेक पानी आता है तो अलर्ट घोषित कर दिया जाता है. क्योंकि इसके बाद गांवों में पानी भरने का खतरा बन जाता है. राहत की बात ये है कि अभी 2 लाख 97 हजार क्यूसेक पानी आने के बाद भी गांवों में पानी नहीं घुसा है. लेकिन खेतों में खड़ी फसलों को काफी नुकसान हुआ है.

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