यमुनानगर: यमुना का जलस्तर कम होने के साथ ही पश्चिमी और पूर्वी यमुना नहर में पानी की आपूर्ति प्रभावित हो रही है. इसके अलावा यमुना में कम होते जलस्तर का प्रभाव जल स्तर यमुनानगर की पन बिजली परियोजनाएं, सिंचाई एवं पर्यटन में भी पड़ रहा है. जलस्तर कम होने से बिजली उत्पादन पर असर पड़ रहा है, साथ ही साथ वाटर एडवेंचर का लुत्फ उठाने आ रहे पर्यटकों में भी मायूसी है.
जलस्तर कम होने से बिजली उत्पादन पर असर: जानकारी के अनुसार, 15 अक्टूबर के बाद यमुना के औसतन जलस्तर में लगातार कमी होने से पश्चिमी यमुना नहर पर बने हाइडल विद्युत इकाइयां में भी क्षमता के अनुरूप उत्पादन नहीं हो पा रहा है. विभाग के मुताबिक विद्युत उत्पादन में लगभग 70 फीसदी की कमी दर्ज की जा रही है. यमुनानगर में चार पन बिजली इकाइयों में विद्युत उत्पादन होता है, जिनकी उत्पादन क्षमता 62.4 मेगावाट है. प्रत्येक इकाई में 8-8 मेगावाट की दो टरबाइन लगी हुई है. जानकारी के मुताबिक पिछले 3 महीने में हाइडल लिंक नहर में औसतन 3200 क्यूसेक पानी ही मिल पा रहा है, जिसके कारण उत्पादन घटकर लगभग 30 फीसदी पर आ गया है.
यमुना का जलस्तर घटने से वाटर बोटिंग का रोमांच हो रहा कम: वहीं, हथिनीकुंड बैराज पर पर पर्यटकों को लुभाने के लिए शुरू की गई वाटर वोटिंग पर भी जलस्तर कम होने का विपरीत असर पड़ रहा है. जलस्तर कम होने से पर्यटकों को वह रोमांच नहीं मिल पा रहा है जो जलस्तर अधिक होने से मिलता है. हालांकि सर्दियों की छुट्टियां शुरू होने से हथिनीकुंड बैराज पर वाटर वोटिंग करने पर्यटक अच्छी खासी संख्या में पहुंच रहे हैं. यदि यमुना का जल स्तर सामान्य रहता तो पर्यटकों के घूमने का मजा दोगुना हो जाता.
जलस्तर कम होने से सिंचाई कार्य भी प्रभावित: विक्रांत सिंह ढांडा एक्सईएन हाइडल प्रोजेक्ट यमुनानगर ने कहा कि हथिनीकुंड बैराज से पूर्वी और पश्चिमी यमुना नहर में छोड़ा गया पानी हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश की लाखों एकड़ भूमि को सिंचित करता है. जलस्तर कम होने से गेहूं की फसल में लगने वाला नहरी पानी की उपलब्धता भी लगातार कम हो रही है. विभागीय अधिकारियों के अनुसार करनाल के मुनक हेड से जितना पानी मांगा जा रहा है, उसके अनुरूप फिलहाल आपूर्ति करना संभव नहीं है.