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यमुनानगर: गंदे नाले में तब्दील हुई पश्चिमी यमुना नहर, ट्रीटमेंट प्लांट से भी नहीं बदली सूरत - यमुनानगर यमुना नदी

यमुनानगर से होकर गुजरने वाली यमुना नहर की हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है. करीब 19 नालों का गंदा पानी यमुना नहर में डाला जा रहा है. एक तरफ यमुना का पानी अब पीने योग्य नहीं है तो दूसरी ओर आस्था के लिहाज से भी इसकी उपेक्षा हो रही है.

western yamuna canal

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Published : Dec 23, 2020, 4:48 PM IST

चंडीगढ़:भारत में नदियां सिर्फ पानी का स्त्रोत नहीं बल्कि आस्था का प्रतीक भी हैं. लेकिन जैसे-जैसे समय बदल रहा है वैसे-वैसे नदियों और नहरों की उपेक्षा हो रही है. नदियों और नहरों में गंदे नालों का पानी बहता दिख रहा है. यमुनानगर से होकर गुजरने वाली यमुना नहर इसका जीता जागता उदाहरण है. यमुना नहर में करीब-करीब 19 गंदे नालों का पानी बह रहा है, जिससे नहर काली होती जा रही है और पानी दिन-ब-दिन दूषित.

यमुना बचाओ समिति के संचालक कहते हैं कि यमुना की हालत देखकर उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं. यमुना नहर की हालत की सारी जिम्मेदारी प्रशासन और सरकार की है. वो कई बार प्रशासनिक अधिकारियों और राजनेताओं से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन आश्वासन के सिवा उन्हें आज तक कुछ नहीं मिला.

यमुनानगर: गंदे नाले में तब्दील हुई पश्चिमी यमुना नहर, ट्रीटमेंट प्लांट से भी नहीं बदली सूरत

2 ट्रीटमेंट प्लांट से भी नहीं बदली सूरत

पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से मिली जानकारी के अनुसार यमुना नहर में तकरीबन 19 जगहों से गंदा पानी डिस्चार्ज हो रहा है. इसके लिए बोर्ड को नहरी विभाग द्वारा नोटिस भी जारी किया गया था. जिसके बाद परवालो और बॉडी माजरा में ट्रीटमेंट प्लांट लगाया, लेकिन हालात अभी भी जस के तस हैं.

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यमुना नहर को एक बार फिर से साफ करने के लिए नगर निगम ने कमर कस ली है. निगम ने 73 लाख रुपये का प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसके तहत सभी गंदे नालों को डायवर्ट किया जाएगा, ताकि यमुना नहर में गंदे पानी का डिस्चार्ज ना हो. निगम अधिकारी के अनुसार अगले 2 महीनों ये काम पूरा कर लिया जाएगा.

यमुना नहर नहीं, यमुना नाला

गंगा की तरह ही यमुना नदी को भी पूजा जाता है और इसमें श्रद्धालु सोमवती अमावस्या, छठ पूजा और अन्य पर्व पर स्नान करने पहुंचते हैं. यमुना का पौराणिक ग्रंथों में भी उल्लेख किया गया है और हिंदू धर्म में यमुना की काफी मान्यता है, लेकिन जो हालात आज यमुना नहर के हैं वो बेहद चिंताजनक हैं. एक तरफ यमुना का पानी अब पीने योग्य नहीं है तो दूसरी ओर आस्था के लिहाज से भी इसकी उपेक्षा हो रही है.

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